भारतीय अर्थ व्यवस्था दिन प्रतिदिन नीचे ही गिरती चली जा रही हैं पि. चिदंबरम जमानत पर बहार आते ही भारतीय अर्थ व्यवस्था को आड़े हाथों लेते हुए बित मंत्रालय को खरी खोटी सुनाई | प्याज की बढ़ी कीमतों से ले कर जीडीपी में आयी गिरावट का जिक्र करते हुए कहा की भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 15 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं उन्हों ने कहा की हमारी किस्मत ही होगी की जीडीपी 5 फीसदी होगी , और पूर्व आर्थिक सलाहकार सुब्रह्मण्य की चेतावनी याद रखिये इस सरकार में पांच फीसदी बताई जा रही ग्रोथ रेट दरअसल 1.5 फीसदी इससे भी और नीचे हैं क्योंकि सरकार के ग्रोथ रेट की गणना का तरीका संदेहास्पद हैं . चिदंबरम ने अपने बयान में यह भी कहा की अर्थ व्यवस्था पर प्रधानमंत्री मौन है और उनके मंत्री बेतुका बयान दे रहे हैं अगर ऐसी ही स्थिति रही तो देश आर्थिक मंदी में इतनी विलिन हो जाएगी की सरकार संभल भी नहीं पाएगी
हाला की चिदंबरम, ने अपने ऊपर लगे किसी भी आरोप के संबंध में कुछ भी नहीं कहा |
वैसे एक हकीकत यह हैं की भारतीय अर्थ व्यवस्था में कोई सुधर नहीं हैं वही रिज़र्व बैंक ने अपने मौद्रिक नति की घोसना की | ऐसा अनुमानित था की रिज़र्व बैंक अपने रेपो रेट और रिज़र्व रेपो रेट में कोई बड़ा बदलाव करेगी लेकिन इसके विपरीत रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक निति में साफ़ करते हुए कहा की वर्तमान में रिज़र्व बैंक के अनुमानित जीडीपी की दर 6.1 फीसदी से घट कर 5.15 फीसदी पर आ गयी है | इसका तात्पर्य यह हैं की फ़िलहाल जीडीपी की रफ़्तार बेहद धीमी है फलस्वरूप यह अर्थ व्यवस्था के लिए अच्छे संकेत तो बिलकुल नहीं है | रिज़र्व बैंक के इस घोसना से यह तो बिलकुल स्पष्ट हो गया की भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई सुधार न आकर और नीचे हीं गिरती चली जा रही है | हम आपको बता दे की रेपो रेट और रिज़र्व रेपो रेट पर हीं पूरी लोन व्यवस्था आधारित होती हैं जिसमें रिज़र्व बैंक ने बिना कोई बदलाव किये बरकरार रखा हैं |