झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई में बने जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए एक और राज्य से सत्ता से बेदखल कर दिया. गठबंधन का चेहरा रहे जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने विपक्षी कमान संभाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे टकराने के बजाय मुख्यमंत्री रघुवर दास को टारेगट पर लिया. इसी का नतीजा है कि झारखंड का सियासी संग्राम हेमंत सोरेन बनाम नरेंद्र मोदी होने के बजाय हेमंत बनाम रघुवर के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा. विपक्षी गठबंधन को इस राजनीतिक फॉर्मूले से जबरदस्त चुनावी फायदा मिला.
झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन ने 47 सीटों पर कब्जा किया, जिसमें जेएमएम को 30 सीटें और उसके सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खाते में 16 और राष्ट्रीय जनता दल के खाते में 1 सीट आई है. इस तरह से जेएमएम को 11 सीटों, कांग्रेस को 10 सीटों और आरजेडी को एक सीट का फायदा मिला है. झारखंड में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है,
वही गत मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने ही सीट को खोते दिखे , जी हाँ रघुवर दास को अपने विधान सभा क्षेत्र जमशेदपुर पूर्व में निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय से शिकस्त का सामना करना पड़ा |ऐसा तब हुआ है जब बीजेपी की मजबूत सरकार केंद्र में है और इसका लोहा पूरा देश मान रहा है | विशेषज्ञों की माने तो बीजेपी को उनके केंद्र वाले मुद्दे की राजनीति करना उनके लिए हार का कारण बना | जहाँ तक स्थानीय मुद्दे झारखंड वासीयों के लिए प्राथमिकता रही जिसमें शिक्षा व्यवस्था,चिकित्सा और रोजगार जैसे मुद्दे उनके लिए मूलभूत उम्मीद थी जिस पर बीजेपी की सरकार विफल साबित हुई |
साथ हीं झारखंड की जनता गैर आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहती थी क्योंकि उन्हों ने रघुवर दास की नीति को समझते हुए मान लिया था की रघुवर दास आदिवासियों के लिए कल्याणकारी साबित नहीं होंगे ,इस बात का सीधा मतलब यह हुआ की लोगो को पिछले 5 साल में हुए शिक्षकों पर लाठी चार्ज , आंगनवाड़ी शिक्षकों पर हुए हमले को लोगो ने भली भांति समझा , साथ इन्ही मुद्दे को आड़े हाथ लेते हुए हेमंत सोरेन ने चुनाव प्रचार किया जिसका उन्हें पूरा फायदा मिला |
हला कि झारखंड में पहली बार किसी भी पार्टी के मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल 5 साल पूरा किया |इससे यह भी स्पष्ट होता है की झारखंड में 5 साल किसी भी पार्टी की सरकार रही है तो पार्टी बेहद ही मजबूत स्थिति में थी |