अभी हाल ही में 17 सितंबर से लेकर 19 सितंबर तक उत्तर भारत का सबसे बड़े 6th ग्लोबल लिटेररी फेस्टिवल, नोएडा (आनलाइन) का आयोजन किया गया। इस साहित्यिक महोत्सव में सेमिनार, वर्कशाप, पुस्तक विमोचन, कवि सम्मेलन, मुशायरा, अवार्ड फंक्शन के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम से जुड़े आयोजन भी हुये।
इसी संदर्भ में कोरोना काल में जसबीर ग्रोवर के द्वारा लिखी गई पुस्तक “ नो योर यूनीक सेल्फ का 18 सितंबर सुबह 10 बजे के सत्र में किया गया। पुस्तक विमोचन के मौके पर फेस्टिवल के अध्यक्ष डा0 संदीप मारवाह साहब ने कहा कि “मनुष्य में आत्मविश्वास शिक्षा प्राप्त करने से आता है और यही कारण है कि वे शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 27 बरसों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जसबीर ग्रोवर ने “नो योर यूनीक सेल्फ” पुस्तक लिखकर बड़ा काम किया है और इस पुस्तक से मनुष्यता की सेवा होगी”। संदीप मारवाह ने यह भी कहा कि इस महामारी में यह एक खास बात हुई है कि लोगों ने लिखना शुरू कर दिया है और लिखने का चलन पूरी दुनिया में दिखाई दिया है। ज़रूरी नहीं की ज़रूरी नहीं की लिखने के लिए आपका भाषाई पंडित होना ज़रूरी है अगर आपके पास भाव है तो आप आने आप को अभिव्यक्त कर सकते हैं”।
पुस्तक विमोचन के इस मौके पर बोलते हुये सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और लेखक अशोक अरोड़ा साहब ने कहा कि “एक कहावत है कि सभी महान लोग एक जैसा सोचते हैं और शायद इस वजह से जसबीर ग्रोवर पुस्तक लिखकर एक बड़ा कार्य किया है। उन्होंने कहा कि इस कारोना महामारी ने यह बताया कि मनुष्य का अस्तित्व कितना कमज़ोर है और ऐसे समय में आपने जीने की उम्मीद बधाई है, जो अच्छे दिल के लोग होते हैं उनके दिल में संपूर्ण मनुष्यता के लिए प्रेम होता है वही सुंदर रचनात्मक कार्य कर सकते है”।
युवा अङ्ग्रेज़ी उपन्यासकर तन्मय दुबे ने कहा कि “इस दौर में ईश्वर ने बेतहाशा भागते हुये मनुष्य को जबरदस्ती रोका और ठहरकर सोचने की एक नई मानसिकता को जन्म दिया। जिसने एक नए लिटरेचर को जन्म दिया। जसबीर ग्रोवर की पुस्तक इसी कड़ी का एक हिस्सा है। जिस तरह से जसबीर ने इस किताब में रचनात्मकता इनपुट दिया है वह कमाल का है”।
अपनी इस पुस्तक की यात्रा को साझा करते हुये जसबीर ग्रोवर के कहा “यह पुस्तक विमोचन का दिन मेरे जीवन में हमेशा याद रहेगा। जहां तक मेरी जीवन यात्रा का सवाल है वह बहुत कठिन रही और मैं डिप्रेशन का भी शिकार रही। मेरे दिमाग में था कि मैं इस पुस्तक को नए फॉर्म में लेकर आऊंगी। मेरे बेटे को आर्थराइटिस हुआ। ऐसे हालातों में मैंने उसके हौसले के लिए उसके साथ मिलकर यह पूरी किताब लिखी। मुझे ऐसे कठिन समय में उसे एक रचनात्मक कार्य से जोड़ना था। मैं इस पुस्तक के माध्यम से दुनिया को यह बताना चाहती हूं कि कठिन समय में साहस रखो। उन्होने बताया उनकी इस पूरी पुस्तक को उनके एक छात्र सुमित ने स्पॉन्सर किया है”।
साक्षी सामाजिक संस्था की अध्यक्ष मृदुला टंडन ने इस मौके पर कहा कि “इस महामारी के दौरान बहुत सा साहित्य लिखा गया है। बहुत सी कहानियां हमारे सामने आई है। इस कड़ी में जसबीर ग्रोवर ने जो किताब लिखी है वह निश्चित रूप से इस दौर की पीड़ा संघर्ष और जज़्बे को दर्शाती है। यह पुस्तक निश्चित रूप से आने वाले समय में नए मक़ाम गढ़ेगी”।
ग्लोबल लिटेरेरी फेस्टिवल के निदेशक सुशील भारती ने कहा कि “बहुत पहले उन्होंने एक किताब लिखी थी “सोल द मास्टर टीचर” उसमें यही था कि इस पूरी दुनिया में 750 करोड़ लोग है लेकिन ईश्वर में सबको सबसे जुदा बनाया है। शक्ल मिलाई तो अक्ल अलग कर दी। इसका अर्थ ये है कि ईश्वर की रचना अद्भूत है और मनुष्य अपने आप में एक स्पेशल ह्यूमन बीइंग है। लेकिन जो चुनौती उसने मनुष्य के सामने रखी वो ये थी कि उसे अपना “यूनीक सेल्फ” ढूंढ़ना है। जो ढूंढ़ लेता है वही कुछ अनोखा रचता है। जसबीर ग्रोवर ने इस पुस्तक के माध्यम से स्वयं का भी यूनीक सेल्फ खोज निकाला है। “नो योर यूनीक सेल्फ” यह पुस्तक बड़े ही कठिन समय में जसबीर ग्रोवर और उनके बेटे जगपाल ने लिखी है जो जीवन में सकारात्मकता का संदेश देते हुए मनुष्य को कठिन समय में खड़े होने की प्रेरणा देगी और लोगों को सच्चे मायने में अभिव्यक्त करने में मदद करेगी”। यह पुस्तक अमेज़ोन पर उपलब्ध है। पाठक इस पुस्तक को वहाँ से खरीदकर पढ़ सकते हैं।