Saturday, June 3, 2023
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दिल्ली में फिलहाल लॉकडाउन लगने की कोई संभावना नहीं- स्वास्थ्य मंत्री, सत्येंद्र जैन

देश के कई राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जिसके चलते कुछ शहरों में लॉकडाउन लगाने की नौबत भी आ गई है. देश की राजधानी दिल्ली में भी बीते कुछ दिनों में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. ऐसे में दिल्ली में भी लॉकडाउन लगाने की अफवाह फैल रही है. इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि दिल्ली में फिलहाल लॉकडाउन लगने की कोई संभावना नहीं है और लॉकडाउन समस्या का समाधान नहीं है|

सत्येंद्र जैन ने कहा कि लॉकडाउन की कोई संभावना नहीं है. पहले लॉकडाउन करके देखा गया था, उसके पीछे एक लॉजिक था. उस समय किसी को नहीं पता था कि ये वायरस कैसे फैलता है. तब कहा गया था कि संक्रमित होने से लेकर संक्रमण ख़त्म होने तक 14 दिन का सायकिल है. तब विशेषज्ञों का कहना था कि अगर 21 दिनों के लिए सभी एक्टिविटी को लॉक कर दें तो वायरस फैलना बन्द हो जाएगा. इसके बाद भी लॉकडाउन बढ़ता गया, लेकिन इसके बावजूद कोरोना पूरी तरह से ख़त्म नही हुआ. मुझे लगता नहीं है कि लॉकडाउन समाधान है|

 

दिल्ली में कोरोना की ताज़ा स्तिथि बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली में 1,534 पॉजिटिव केस आये थे और पॉजिटिविटी 1.8% है. अभी जो पॉजिटिविटी है वो पौने 2 प्रतिशत के करीब कई दिन से चल रही है. पहले केस कम थे लेकिन हाल में थोड़े ज़्यादा बढ़े हैं. इसके लिये हमने टेस्टिंग बहुत ज़्यादा बढा दी है. अब रोज़ाना 80-90 हज़ार टेस्ट हो रहे हैं. देश के औसत टेस्टिंग से 5 गुना ज़्यादा टेस्ट हम कर रहे हैं. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं, एक-एक टेस्ट जो पॉजिटिव आ रहा है उसमें 30 लोगों की कांटेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं ताकि इसको जल्द से जल्द काबू में लाया जा सके|

कोरोना के मौजूदा पीक के कब तक बने रहने की संभावना है इस सवाल के जवाब में सत्येंद्र जैन ने कहा कि एक हफ्ता अभी हमें ट्रेंड को देखना पड़ेगा. कोई भी निश्चित ट्रेंड आने में 3-4 हफ्ते का समय लग जाता है. कई बार लोगों में ढिलाई वाला बर्ताव भी आ जाता है. दिल्ली में 3-4 महीने नियमों का पालन बहुत अच्छे से हो रहा था, उस समय मामले कम हुए थे. लेकिन पिछले 10-15 दिन से लग रहा है कि प्रतिबद्धता कुछ कम हुई थी, जिसमें हम सख्ती भी कर रहे हैं और लोगों से अपील भी कर रहे हैं. सबसे बड़ी प्रतिबद्धता है मास्क लगाने की. अगर ज़्यादा लोग मास्क लगाते हैं तो इसको काबू किया जा सकता है. एक साल की जद्दोजहद के बाद सबने समझ लिया है कि मास्क लगाना पब्लिक प्लेस में सबसे ज़्यादा आवश्यक है|

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