अमित त्रिपाठी की रिपोर्ट(गोरखपुर, यूपी) : पंचायत चुनाव खत्म तो हो गए हैं पर सबकी निगाहें अब अपने नए जिला पंचायत, ब्लॉक प्रमुख के चुने जाने पर टिकी हैं। हर क्षेत्र से इन पदों के लिए कई नए दावेदार अपनी दावेदारी ठोकते नजर आ रहे हैं, तो इन पदों पर पहले से अपनी पैठ बनाएं कुछ धुरंधर फिर से उस पद को हासिल करने के लिए मैदान में हैं। हम बात बांसगांव ब्लॉक प्रमुख पद के लिए होने वाले चुनाव की कर रहे हैं। जहां के सम्मानित प्रतिनिधि शिवाजी सिंह के परिवार का पिछले 10 सालों से दबदबा रहा है। सीट सामान्य हो या फिर अनुसुचित, जीत उसी की होती है जो शिवाजी सिंह का खास होता है। शिवाजी सिंह पेशे से एडवोकेट हैं, और पूर्व में भारत सरकार के रेलवे विभाग में उन्होंने सलाहकार की भी भूमिका निभाई है। और गोरखपुर-महराजगंज के पूर्व कोऑपरेटिव डॉयरेक्टर भी रह चुके हैं। शिवाजी का राजनीति से गहरा नाता रहा है, पूर्व में सहजनवा विधानसभा का चुनाव भी वे लड़ चुके हैं, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा, पर उन्होनें हार नहीं मानी। साल 2010 से लेकर अबतक उन्ही के परिवार का या उनका कोई करीबी ही बांसगांव से ब्लॉक प्रमुख होता आया है। साल 2010 में महिला आरक्षित सीट होने पर उनकी पत्नी कुसुम सिहं ने ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीता, तो वहीं 2015 में अनुसूचित सीट होने पर शिवाजी सिंह द्वारा मैदान में उतारी गई प्रत्याशी राधिका देवी ने परचम लहराया, जो अब तक अपने क्षेत्र की कमान संभाल रही हैं, हालांकि अब सबकी निगाहें इस बार के चुनाव पर टिकी हैं कि, क्योंकि इस बार भी यहां की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि शिवाजी सिंह का दबदबा इस बार भी यूहीं कायम रहता है, या उनके इस विजय रथ पर कोई सेंध लगा पता है। पर एक बात तो तय हैं जितनी अच्छी छवि के साथ शिवाजी सिंह का कुनबा अपने ब्लॉक का विकास करता आया है, इस बार भी जीत उनके ही किसी समर्थित प्रत्याशी की मानी जा रही है।