ब्रह्मराष्ट्र एकम द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर मनाया *’गुरु वंदन शिष्य अभिनन्दन’* जैसा कि सर्वविदित है कि भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति व भारत के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में 5 सितंबर 1962 से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। ब्रह्मराष्ट्र एकम ने रोटरी उदय के साथ संयुक्त तत्वावधान में शिक्षक दिवस पर आज वाराणसी महमूरगंज , स्थित पाणिनि कन्या महाविद्यालय में शिक्षक दिवस महोत्सव मनाया गया। इस ख़ास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय से , प्रोफेसर श्री हरे राम त्रिपाठी जी व विशिष्ट अतिथि महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से डॉ बंशीधर पांडेय जी उपस्थित रहें। ब्रह्मराष्ट्र एकम के न्यास सतीश चंद्र मिश्र जी व रोटरी क्लब वाराणसी उदय से अध्यक्ष – रो अजय दुबे, श्रृंगेरी मठ से अन्नपूर्णा शास्त्री जी, पाणिनि कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या नन्दिता शास्त्री जी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के शुरुआत में सर्वप्रथम अतिथिगणों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया व अंग वस्त्र प्रदान किया गया तत्पश्चात प्रो हरे राम त्रिपाठी , सतीश चंद्र मिश्र , बंशीधर पांडेय , नन्दिता शास्त्री , अजय दुबे , सचिन मिश्र , जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया गया साथ ही , पाणिनि कन्या महाविद्यालय की बच्चियों द्वारा मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। रोटरी क्लब की चार्टर महिला संस्थापक प्रिया मिश्रा जी ने डॉ नन्दिता शास्त्री जी का स्वागत किया व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
प्रो. हरे राम त्रिपाठी जी ने सभी का अभिवादन कर कहा जो अनुशासन में रहता है वही शिष्य है। तैत्तिरीय उपनिषद में कहा गया है कि – गुरु सर्वोपरि है गुरु सबसे पूज्य है।
वैशेषिक दर्शन के अनुसार गुरु अपने ज्ञान को शिष्य में समारूपित करता है। गुरु वो तत्व है जो ज्ञान को प्रदान करता है। *”भक्ति के बिना मुक्ति हो सकती है , ज्ञान के बिना मुक्ति असम्भव है”* मोक्ष की प्राप्ति तत्वज्ञान से होती है। वैशेषिक दर्शन में धर्म का मार्ग गुरु ही दिखाता है।
मनुस्मृति में कहा गया है – इस भूभाग पर गुरु केवल ज्ञान से ही नही अपने मन , वाणी और आचरण से भी अपना ज्ञान शिष्य में भरता है। तत्पश्चात पाणिनि कन्या की बच्चियों द्वारा हाथ मे तलवार और छत्र लेकर अद्भुत प्रस्तुति प्रस्तुत कि गयी। अतिथियों द्वारा इस खास मौके पर तमाम शिक्षा जगत से शिक्षकगण को सम्मानित किया गया उनके नाम हैं:-
*डा रचना श्रीवास्तव जी*,*श्रीमती साधना श्रीवास्तव जी*,*श्री अनूप श्रीवास्तव जी*,*डा आरती विश्वकर्मा जी*,*डा नंदिता शास्त्री जी*,*डा प्रीति विमर्शिनी जी*,*श्रीमती किरण सिंह जी*,*डा ओम प्रकाश दुबे जी*,*श्री दीपक शर्मा जी*,*श्रीमती ऋचा मिश्रा जी*,*श्रीमती नीलम गुप्ता जी*,*श्रीमती पूजा केसरी जी*,*श्रीमती रिचा सिंह जी*,*श्रीमती चंद्रा अधिकारी जी*,*डा निर्भय एन राय जी*,*श्री सुधांशु एस त्रिपाठी जी*,*श्रीमतीनमिता कुशवाहा जी*,*श्रीमती शारदा मिश्रा जी*,*श्रीमती राजकुमारी पांडेय जी*,*पं श्रीकान्त शुक्ला जी*,*श्री सादानंद शाही जी*,*श्रीमती विद्या शर्मा जी*,*श्रीमती स्वाति मिश्रा जी*,*श्री शिवा नन्द मिश्रा जी*,*श्री एजाज उल्लाह खान जी*,*श्री राम नारायण यादव,*श्री प्रदीप पाठक*,*श्री राजेश उपाध्याय*।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो. बंशीधर पांडेय जी ने कहा कि – इस संसार मे केवल दो व्यक्ति बच्चे के तरक़्क़ी से नही , जलते , पहली माँ और दूसरा शिक्षक। साथ ही कहा कि शिक्षक सदैव चाहता है कि मैं अपने शिष्य के नाम से पहचाना जाऊं।
इस प्रकार सभी शिक्षकों को सम्मानित करते हुए , शिक्षक दिवस का कार्य , *गुरु वंदन शिष्य अभिनन्दन* कार्यक्रम सम्पूर्ण हुआ। ब्रह्मराष्ट्र एकम से संतोष कश्यप, सुजीत अधिकारी, राकेश गुप्त, आनंद गुप्ता, प्रेम शंकर दीक्षित, धीरेन्द्र पांडेय, अजीत श्रीवास्तव, पवन केशरी, आदि लोग उपस्थित रहें। कार्यक्रम संयोजक शशि प्रकाश और अखिलेश रावत रहें और कार्यक्रम का संचालन *सचिन मिश्र ‘सनातनी*’ जी ने किया, अंत में सभी शिक्षकों का धन्यवाद कर सभी पत्रकारगणों का भी धन्यवाद किया।