नई दिल्ली: उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ़ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है. कानून मंत्रालय ने नियुक्ति के लिए वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत शरण के नामों को भी मंज़ूरी दे दी है. कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, जस्टिस जोसेफ़ पर आपत्ति नीतिगत थी, व्यक्तिगत नहीं. केरल हाईकोर्ट के अधिक प्रतिनिधित्व तथा वरिष्ठता की सूची को दरकिनार करने पर था. ऐतराज अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सिफारिशों में इन आपत्तियों का ध्यान रखा है. आपको बता दें कि सरकार ने जस्टिस जोसेफ़ की नियुक्ति की सिफारिश को वापस भेज दिया था. इसके बाद कॉलेजियम ने उनका नाम दोबारा सरकार के पास भेजा है.
सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रही इस खींचतान के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस जोसेफ का नाम इस साल 10 जनवरी को भेजा गया था. इनके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा का भी नाम भेजा गया था. सरकार ने इंदू मल्होत्रा के नाम पर तो सहमति जताई थी लेकिन जस्टिस जोसेफ का नाम 26 अप्रैल को वापस कर दिया था. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अप्रैल में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कुछ कारणों की वजह से जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने की बात कहकर उनका नाम लौटा दिया था.
सरकार का कहना था कि केरल हाई कोर्ट से आने वाले एक जज पहले से सुप्रीम कोर्ट में हैं. कलकत्ता, राजस्थान, गुजरात, झारखंड जैसे कई हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में कोई जज नहीं. मूल रूप से केरल हाई कोर्ट के जज रहे कई लोग देश भर में कई जगहों पर जज हैं. अभी 4 हाई कोर्ट चीफ जस्टिस हैं, जो केरल से हैं. सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल कोई भी अनुसूचित जाति/जनजाति का जज नहीं.
इन दलीलों के बाद भी जब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजा तो सरकार को उनके नाम पर सहमति जतानी पड़ी. कानून के जानकारों को मानना है कि सरकार के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था.
आपको बता दें कि जस्टिस जोसेफ जून महीने में साठ साल के हो गए और वो जुलाई 2014 से उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश है. इसके पहले उन्हें 14 अक्तूबर, 2004 को केरल हाई कोर्ट का स्थाई न्यायाधीश बनाया गया था. जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस लोकूर और जस्टिस कुरियन सहित कोलेजियम के सदस्यों ने जस्टिस जोसेफ के नाम को मंजूरी देने में हो रहे देरी पर चिंता जाहिर की थी.