Tuesday, March 19, 2024
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‘द ग्लोबल हेल्पडेस्क’ की महिला सीईओ की प्ररेणादायक कहानी….देखिए यहां

‘नारी’ इस शब्द का ज्रिक करते हुए कई युगों की नारियों का वृतांत दिमाग में आने लगता है। और फिर सीता से लेकर द्रोपदी और झांसी की रानी से लेकर आज की सुषमा स्वराज तक छवि दिखाई देने लगती है। लेकिन नारी शब्द यह प्रत्येक स्त्री के लिए उपयोग किया जाता है। चाहे वह साधारण या घरेलू स्त्री हो या फिर कोई महान कार्य करने वाली हो। हम यहां नारी शब्द का बखान इसलिए कर रहे है क्योकि पुराणों में भी नारी महिमा इस प्रकार से बताई गई  है-

                                              ‘यत्र नार्यस्तु पूजन्ते , रमन्ते तत्र देवता’

खैर आज 21 वीं सदी के युग की बात करे और नारियों की बात ना हो ऐसा कैसा संभव हो सकता है। आज की वुमनियां धरती से लेकर आसमान, पृथ्वी से लेकर चांद तक हर कहीं अपना सितारा चमका रही है। आज भारत देश की शान महिलाएं ही है। घर-परिवार से लेकर पायलेट तक की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लिए हुए आगे बढ़ रही है, साथ ही देश की सेना में शामिल होकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार है।

खैर..हम आज की महिलाओं की तारीफ पर ताऱीफ इसलिए कर रहे है क्योंकि हम आपकों एक ऐसी ही महिला से रूबरू करवाते है जिन्होने अपने काम और बुद्धि के बल हर समस्या का समाधान आप तक पहुंचाने का काम किया। जी हां हम बात कर रहे है रितु ग्रोवर की , जिन्होने अपने दम एक ग्लोबल हेल्पडेस्क की स्थापना की। अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते आज रितु ग्रोवर 300 से भी ज्यादा बड़े और छोटे निगमों जैसे आरबीएस, फिल्पकार्ट, ईवाई, पीडब्ल्यूसी, टीसीएस, श्नाइडर इलेक्ट्रिक , माइक्रोसॉफ्ट , एयरटेल , अविवा, एचएसबीसी आदि भारत के 10 बड़े मुख्य कार्यालयों को सर्विस प्रदान की है। यह कंपनी सुविधा प्रबन्धन और कंसीयज सेवा फर्म की सर्विस प्रदान करती है।

पूरी इंडस्ट्री में आज रितु ग्रोवर को ग्लोबल हेल्पडेस्क की बतौर सीईओ पहचाना जाता है। आज देश-दुनिया भर में उनके लगन, कठिन मेहनत और सही दिशा में कार्य करने से उनको प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। रितु ग्रोवर द्वारा ‘द ग्लोबल हेल्पडेस्क’ की शुरूआत करने के लिए कई दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा चलिए आपकों बताते है कि इस कंपनी की शुरूआत कैसे हुई ।

साल 1996 के दौरान आईटी और एमएनसी कंपनियों का उदय हो रहा था, साथ ही भारत में कॉर्पोरेट संस्कृति का विस्तार बड़ी तेज गति से होता देखा गया, तब मिस रितु ग्रोवर जो एक साधारण महिला थी, ने भारत में दरबान सेवाओं की अवधारणों को आगे बढ़ाने का एक अपना सपना देखना शुरू किया। गुडगांव के एक खाली जगह में इंटिरियर डिजाइनिंग का सामान्य सा काम करती थी, और हमेशा प्रत्येक चीज़ो को सही करने के लिए आसान सा तरीकों के बारे सोचती रहती थी। कॉरपोरेट जगत में कई चीज़े उन्हें और उनके आस-पास  की चीज़े बेहद ही उलझी हुई नज़र सी आती थी, जो उन समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नही मिल पाता था। उन्होंने कई बार सोचा कि समाधान के अभाव में लोगों को गैर-कानूनी काम करना पड़ता है, जिससे बाद में जुर्माना उनके जीवन को असुंतलित बना देता था।

धीरे-धीरे 2000 के दशक में भारतीय सुविधा प्रबन्धन बाजार ने अनैच्छिक रूप से अपना काम शुरू किया, हालांकि कई कंपनियों की उत्पादकता और कार्य दक्षता पर सुविधा प्रबन्धन के बढ़ते सकारात्मक प्रभावों से भारतीय कॉर्पोरेट उद्योग में सुविधा प्रबन्धन अवधारणा की व्यापक रूप स्वीकृति प्राप्त हुई।

यही से रितु ग्रोवर की असली लड़ाई शुरू हुई और धीरे-धीरे सभी बाधाओं से लड़कर, अपनी नजरों में दृढ़-विश्वास के साथ भारतीय बाजार के लिए कंसीयज सेवाओं का एक बहुत ही नये विचार की स्थापना 1998 में की। और यह कंपनी आज सुविधा प्रबन्धन उद्योग में सबसे बड़ा और प्रसिद्ध ब्रांड है, जिसकी पहचान इंडस्ट्री में ग्लोबव हेल्पडेस्क(टीजीएच) के तौर पर स्थापित है।

रितु ग्रोवर का फैमली बैकग्राउंड-

रितु ग्रोवर एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी थी। इनका परिवार सेना की पृष्ठभूमि से आता है। इसलिए रितु ग्रोवर ने आर्मी पब्लिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। रितु ग्रोवर ने दिल्ली विश्वविधालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। बचपन से ही आर्मी परिवार और स्कूली शिक्षा प्राप्त होने से उन्होने हमेशा ही अनुशासित जीवनशैली बिताई। उसूलों के साथ परवरिश ने रितु ग्रोवर के अन्दर नेतृत्व करने के गुणो को भी जन्म दे दिया।

रितु ग्रोवर जी ने अपने जीवन में कई पुरस्कारों और सम्मान को प्राप्त किया है। रितु ग्रोवर जी को 2008 और 2009 में विप्रो ने वैल्युड़ पार्टनर अवॉर्ड (Valued Partner Award) सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्होंने एक अच्छे बिजनेस वुमैन के लिए भी कई पुरस्कार प्राप्त किए है।

वैसे उन्होंने सुविधा प्रबन्धन, कंसीयज सेवाएं, मेलरूम प्रबन्धन, एक्सपैट प्रबन्धन में विशेषज्ञा हासिल की हुई है। लागत और उत्पादकता को अनुकूलित करना, इन कारणों की वजह से वे अपने उद्यम को सफलतापूर्वक संभालने में सक्षम है।

यहां पर रितु ग्रोवर ने वास्तविक रूप से खुद को आज की वुमनिया के तौर पर स्थापित किया है। प्रत्येक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को इनसे सीख लेकर अपने क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। रितु ग्रोवर जी के द्ढ निश्चय ने ही उनको कामयाबी की बुलन्दियों पर पहुंचाया है

 

 

 

 

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