गोरखपुर मेडिकल कालेज में बच्चो के मौत का ताड़व देखकर एक मॉं अपने लाल को बी०आर० डी० मेडिकल कालेज में मरता नही देखना चाहती थी इसीलिए माँ ने अपने लाल को घर लेकर चली आई।
आने के बाद देवरिया जिला चिकित्सायल में भर्ती करा कर इलाज करवाया वही मासूम अब पूरी तरह से ठीक हो गया।
आने के बाद देवरिया जिला चिकित्सायल में भर्ती करा कर इलाज करवाया वही मासूम अब पूरी तरह से ठीक हो गया।
मदनपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम कुसमा टोला भठा निवासी बेचन 8 वर्ष पुत्र रमेश यादव को एईस बीमारी के कारण 11 अगस्त 2017 को मॉ सोनमती व नानी दुलारी देवी ने गोरखपुर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। जहॉं अचानक आक्सीजन खत्म होने के बाद कई मासूम मॉ के गोद में ही दम तोड़ रहे थे। सोनमी अपने लाल को यहा पर मरता नही देखना चाहती थी इसीलिए एक माँ ने सकी धीरे से मेडिकल कालेज में भर्ती अपने लाल को व पर्ची कागज को अपने साथ अपने घर लेकर आयी । उसके बाद वे अपने घर पहॅुंच कर राहत की सांस ली। 14 अगस्त को फिर जिला चिकित्सायल में बाल रोग चिकित्सक डाक्टर आर०के० श्रीवास्तव से मिली आप बीती कहानी बताई।
वि० ओ०- चिकित्सक ने बच्चे को एईस के आई० सी० यू० में आड्मित कर इलाज करना शुरू किया, मासूम के हालत में काफी सुधार हो गया है।
वि० ओ०- चिकित्सक ने बच्चे को एईस के आई० सी० यू० में आड्मित कर इलाज करना शुरू किया, मासूम के हालत में काफी सुधार हो गया है।
जब मॉं सोनमती से बात कि गई तो उन्होने बताया कि मेडिकल कालेज में बच्चे को इलाज के लिए भर्ती कराया था। अचानक कई बच्चें के मरने की सूचना के बाद हम अपने बच्चे को लेकर वहॉं से भाग चली साथ ही भर्ती कागज भी लेकर चली आई। उसके बाद हम चिकित्सक आर० के० श्रीवास्तव से अपने दर्द को बताया। आज हमारा बच्चा ठीक हो गया है अपने साथ लेकर घर जा रहे है।
इस सम्बन्ध में जब चिकित्सक आर० के० श्रीवास्तव से बात कि गई तो उन्होने बताया कि उस वक्त बच्चे की हालत नाजुक थी शरीर में सूजन थी अब तो ठीक हो गया है।
काश सोनमती के तरह हर मॉ समय की परिस्थिति को समझ पाती तो उनके भी गोद खाली नही होते ! जब आदमी के बूरा वक्त आता है उसके दिल दिमाग दोनो काम करने बंद कर देते है। लेकिन कुछ लोग अपने मन को एकाग्र कर के हर हालात से लड़ने को तैयार रहते है।
कुछ इसी तरह के सोनमती दिखी जब लोगों के उपर मेडिकल कालेज गोरखपुर में मासूम बच्चों के उपर दर्द का पहाड़ टूट कर गिर रहा था तो सोनमती धैर्य के साथ हिम्मत से लड़ती रही। अपने लाल बेचन को काल के गाल से निकाल कर लायी !
जब बेचन के पिता रमेश यादव से बात कि गई तो बताया कि हम तो बाहर रहते है। मेरी पत्नी घर पर थी उसने बहादुर दिखाया और मेरे लाल को अपने सूझ बूझ के साथ लेकर चली आई। और घटना बताई तो तीन दिन पहले हम घर आये है। हमारी पत्नी पढी नही है। लेकिन अपने सोच से और चिकित्सक आर० के० श्रीवास्तव के साथ ही भगवान के बजह से आज बच्चा हमारे पास है।