माजिद मजीदी आपके लिए एक ड्रामा फिल्म ले कर आये है
इरानी फिल्ममेकर माजिद मजीदी का नाम फिल्म प्रेमियों के लिए कोई नया नाम नहीं है। इस फिल्म को माजिद ने जब पिछले साल लंदन फिल्म फेस्टिवल में पहली बार इस फिल्म को पेश किया तो यहां मौजूद मेहमानों, क्रिटिक्स ने फिल्म की स्क्रीनिंग खत्म होने के बाद फिल्म की तारीफों के पुल बांध दिए। वैसे माजिद ने इस फिल्म को बनाने का प्लान उस वक्त किया जब वह मुंबई फिल्म फेस्टिवल में आए थे। तभी उन्होंने इस फिल्म को बनाने की प्लानिंग करने के बाद सबसे पहले एआर रहमान को अप्रोच किया। वैसे माजिद इससे पहले डॉक्युमेंट्री सहित करीब 20 से ज्यादा फिल्में बनाकर हमेशा मीडिया और क्रिटिक्स में चर्चा का केंद्र बने रहे।
लंदन में ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ की स्कीनिंग के बाद इंटरनैशनल मीडिया में फिल्म को मिले पॉजिटिव रिस्पॉन्स देख भारतीय फिल्म दर्शकों को भी इस फिल्म का बड़ी बेसब्री से इंतजार था। ताज्जुब होता है कि अब जब रिलीज हुई है तो फिल्म की डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी को अपने पसंदीदा स्क्रीन्स हासिल करने के लिए लंबी भागदौड़ करने के बाद भी ज्यादा स्क्रीन नहीं मिल पाए तो दिल्ली के किसी एक भी सिंगल स्क्रीन सिनेमा ने इस फिल्म को अपने यहां एक शो में भी लगाने से परहेज किया।
स्टोरी: फिल्म की कहानी आमिर (ईशान खट्टर) और उसकी बड़ी बहन तारा (मालविका मोहनन) के इर्द-गिर्द घूमती है। मां-बाप की मौत के बाद आमिर बहन के घर रहने लगा लेकिन तारा का शराबी पति हर रोज तारा के साथ-साथ अक्सर आमिर को भी पीटता। आखिरकार 13 साल की उम्र में आमिर अपनी बहन का घर छोड़कर भाग जाता है। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, कई साल बाद एक दिन दोनों भाई-बहन एकबार फिर मिले लेकिन अब तक तारा और आमिर की जिंदगी कई ऐसे मुश्किल भरी राहों से गुजर चुकी थी जहां कुछ भी ठीक नहीं था। भाई अब गलत संगत में कुछ भी करके बस पैसा कमाना ही चाहता था, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। धोबी घाट पर 50 साल के करीब का अर्शी (गौतम घोष) हमेशा तारा पर बुरी नजर रखता था। एक दिन अर्शी जब तारा के साथ जबर्दस्ती करता है तो तारा बचाव में अर्शी को बड़े पत्थर से बुरी तरह से मारती है। अर्शी पर जानलेवा हमला करने के जुर्म में तारा को जेल भेज दिया जाता है। यहीं से कहानी में एक नया मोड़ आता है।
ऐक्टिंग: अगर ऐक्टिंग की बात करें तो भाई के रोल में ईशान खट्टर के रूप में एक ऐसा उभरता यंग ऐक्टर नजर आता है जो किरदार में समा जाते हैं। शुरू से अंत तक ईशान की ऐक्टिंग का जवाब नहीं है। ईशान की बहन के रोल में साउथ फिल्मों की ऐक्ट्रेस मालविका मोहनन ने भी अपने किरदार को जीवंत कर दिखाया है। वैसे यह फिल्म दर्शकों को 90 के दशक में रिलीज हुई माजिद मजीदी फिल्म ‘चिल्ड्रन ऑफ हेवन’ से मिलती जुलती लग सकती है। फिल्म की शूटिंग मुंबई की कई स्लम कॉलोनियों में की गई है। ईशान ने पहली ही फिल्म से दिखा दिया है कि वह आने वाले कल के स्टार होंगे। मलयालम ऐक्ट्रेस मालविका मोहनन अपने किरदार में दमदार नजर आईं। फिल्म तनिष्ठा चटर्जी के लिए ज्यादा स्कोप नहीं था।
यहां कैमरामैन अनिल मेहता की यहां खास तारीफ करनी होगी कि उन्होंने स्लम कॉलोनियों में भी फिल्म को ऐसे शानदार ढंग से शूट किया है कि आप देखते ही रह जाते हैं। एआर रहमान का संगीत उनकी इमेज के मुताबिक नहीं है। हमारी नजर में ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ एक मस्ट वॉच फिल्म है। ऐसी फिल्म को देखने के लिए अगर आपको घर से कुछ दूर भी जाना पड़े तो जाएं लेकिन अगर आप ऐक्शन, कॉमिडी, रोमांस और हॉट सीन्स के शौकीन हैं तो यह फिल्म आपके लिए नहीं है।