फिल्मी दुनिया में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं, जो अपने बेहतरीन काम और व्यक्तित्व के जरिए लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। भले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके प्रति लोगों का प्यार और सम्मान कभी कम नहीं होता।
ऐसी ही एक महान शख्सियत थे मोहम्मद रफी। उनकी सुरीली आवाज का जादू ऐसा था कि आज भी उनके गाने संगीत प्रेमियों के दिलों में ताजा और अमर हैं। 24 दिसंबर 1924 को जन्मे रफी साहब इस साल अपनी 100वीं जयंती (Mohammad Rafi 100th Birth Anniversary) पर देशभर में उनके चाहने वाले उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
रफी साहब को संगीतकार नौशाद ने भारत के नए तानसेन का दर्जा दिया था। उन्होंने अपने करियर में 28 हजार से ज्यादा गाने गाए। बर्थ एनिवर्सी के मौके पर आज उनकी दरियादिली की गवाही देने वाले एक रोचक किस्से की बात कर रहे हैं। इसके बारे में खुद अभिनेता जितेंद्र बता चुके हैं।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जितेंद्र की कई फिल्मों के लिए रफी साहब ने गाने गाए थे। उनकी 38वीं बरसी पर आयोजित किए गए समारोह में जितेंद्र ने एक गाने की फीस से जुड़ा किस्सा सुनाया। यह रोचक किस्सा उनकी फिल्म ‘दीदार-ए-यार’ से जुड़ा हुआ है। इसमें उन्होंने बतौर निर्माता भी काम किया था, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। इसके बाद मशहूर अभिनेता ने खुद फिल्में न बनाने का फैसला लिया था। खास बात है कि इस फिल्म का पहला गाना रफी साहब ने गाया था।