शिप्रा कायस्थ महासभा द्वारा इंदिरापुरम स्थित शिप्रा रिवेरा में 22वां कलम दावत एवं श्री चित्रगुप्त पूजन समारोह बड़े ही उत्साह, भक्ति और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन हर वर्ष की भाँति यम द्वितीया एवं भाई दूज के पावन अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों कायस्थ परिवारों ने भाग लिया।
महासभा के संयोजक अनुरंजन श्रीवास्तव ने बताया कि “शिप्रा कायस्थ महासभा” लगातार 21 वर्षों से इस पर्व को धूमधाम से मना रही है, और इस वर्ष अपनी 22वीं वर्षगांठ को विशेष रूप से तीन दिवसीय समारोह के रूप में मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम 22 अक्टूबर की शाम से प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर को भगवान श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा विसर्जन के साथ संपन्न होगा।
पहले दिन बच्चों के लिए खेलकूद, ड्राइंग, डिबेट, क्विज, क्रिएटिव राइटिंग, स्पीकिंग, मेंटल हेल्थ एवं कविता जैसी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनमें काफी संख्या में बच्चों ने भाग लिया।
गुरुवार 23 अक्टूबर को भव्य पंडाल में भगवान श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा स्थापित की गई। सुबह करीब 100 से अधिक कायस्थ परिवारों ने एक साथ सामूहिक रूप से कलम दावत और पूजा-अर्चना की। विधिवत पूजा के बाद प्रसाद एवं सहभोज का आयोजन हुआ।
शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों और बड़ों ने मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं—ग्रुप डांस, गायन और नाट्य मंचन ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बाहरी कलाकारों के गीतों पर दर्शक झूम उठे।
कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे जिन्होंने महासभा के इस आयोजन की सराहना की।
आयोजन समिति में अनुरंजन श्रीवास्तव, डॉ. विवेक कुमार, धीरज सहाय, विवेक वर्मा, प्रकाश कर्ण, प्रमोद श्रीवास्तव, कमलेश कर्ण, पुनीत सक्सेना, विवेक श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, सुमित कुमार, ऋतू सक्सेना, नम्रता वर्मा, आकांक्षा सिन्हा, निम्मी कर्ण, शैलजा श्रीवास्तव, दीपा श्रीवास्तव एवं दीप्ति श्रीवास्तव सहित कई अन्य सदस्य शामिल रहे, जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शुक्रवार 24 अक्टूबर को भगवान श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति का विसर्जन हिंडन या गंग नहर, मुरादनगर में किया जाएगा। महासभा के सदस्य, महिलाएँ और बच्चे इस विसर्जन यात्रा में पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ शामिल होंगे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री चित्रगुप्त समस्त प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले देवता हैं। उनका जन्म भगवान ब्रह्मा के चित्त से हुआ था और वे उनके सत्रहवें मानस पुत्र माने जाते हैं। उन्हें कायस्थ समुदाय के आराध्य एवं धर्म और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है।

