नई दिल्ली – राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया टेक्निकल व क्रिएटिव टीम के संयुक्त तत्वावधान ने भगवान चित्रगुप्त जयंती 23 अक्टूबर 2025 पर 457वां कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का मुख्य विषय “भगवान चित्रगुप्त से आध्यात्मिक शिक्षा” विषय पर विचार विमर्श किया गया। आरजेएस पीबीएच- आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया के राष्ट्रीय ऑब्जर्वर दीप माथुर ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भगवान चित्रगुप्त केवल कर्मों का रिकॉर्ड रखने वाले नहीं हैं, बल्कि न्याय के देवता भी हैं, जो बुद्धि, साहस और शूरवीरता के लिए जाने जाते हैं, और प्राणियों को उनके सकारात्मक कर्मों के अनुसार न्याय दिलाते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत और संचालन संस्था के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने “मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्,
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।” श्लोक से की और कहा कि ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, इसलिए कर्मों का आत्मनिरीक्षण महत्वपूर्ण हो जाता है।
नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय, बिहार में हिंदी के प्रोफेसर और एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव परिचय दास ने अपने बीज वक्तव्य में चित्रगुप्त को एक “अंतरमन का नैतिक निरीक्षक” बताया,और कहा कि विचार भी दर्ज होते हैं, इस प्रकार सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित किया। श्री परिचय दास कहते हैं कि भगवान चित्रगुप्त हमें यह सीखते हैं कि मनुष्य का जीवन निरंतर लिखा जाने वाला ग्रंथ है और हर कर्म उस ग्रंथ की एक पंक्ति है।
इसलिए हमें अपने कर्मों के प्रति जवाबदेह होना होगा। मुख्य अतिथि, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जीएसटी व सीमा शुल्क (आईआरएस) के सेवानिवृत्त प्रधान आयुक्त डॉ. अनूप कुमार श्रीवास्तव जी ने गर्व से कहा कि सभी कायस्थ भगवान चित्रगुप्त के वंशज हैं, उन्हें सुशासन बनाए रखने का एक अंतर्निहित कर्तव्य विरासत में मिला है।डॉ. अनूप श्रीवास्तव ने चित्रगुप्त की उपस्थिति की तुलना प्रत्येक प्राणी के भीतर एक “कंप्यूटर चिप” या “अवचेतन मन” (subconscious mind) से की, जो कर्मों को 24×7 रिकॉर्ड करता है। कार्यक्रम में टीआरडी26- निशा चतुर्वेदी,डा. कविता परिहार , आकांक्षा मन्ना,उमंग कुमार और पत्रकार सुशील श्रीवास्तव व दीपक श्रीवास्तव सहित अमूल्य सक्सेना, एचसी माथुर आदि भी शामिल हुए।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आरजेएस के राष्ट्रीय ऑब्जर्वर दीप माथुर ने कहा “हमारी अंतरात्मा चित्रगुप्त का “वास्तविक रूप” है। उन्होंने माता-पिता से बच्चों को ‘कलम-दवात पूजा’ का महत्व सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया – कलम, किताबों और शैक्षिक उपकरणों का सम्मान करना – ज्ञान के प्रति सम्मान पैदा करना, जिससे “विद्या के प्रति एक आदर की भावना विकसित होगी”।
आरजेएस पीबीएच के चित्रगुप्त जयंती कार्यक्रम में वक्ताओं ने चित्रगुप्त पूजन का अर्थ बताया- जवाबदेह रहें
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