राष्ट्र निर्माण में बाबासाहेब का योगदान विशेषकर संविधान का प्रारूप तैयार करने में उनके योगदान की स्मृति में पूरे देश में समारोह आयोजित किए जा रहै है
देश आज बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को उनकी जयंती पर याद कर रहा है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती है। राष्ट्र निर्माण में बाबासाहेब का योगदान विशेषकर संविधान का प्रारूप तैयार करने में उनके योगदान की स्मृति में पूरे देश में समारोह आयोजित किए जा रहै है ।
मुख्य समारोह सुबह करीब 8 बजे संसद भवन के प्रांगण में होगा, जहां राजनीतिक दलों के नेता तथा विभिन्न क्षेत्रों के लोग अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। राष्ट्र निर्माण में डा. अंबेडकर का योगदान खासकर संविधान का प्रारूप तैयार करने में उनके योगदान के लिए देश ऋणी रहेगा ।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमें डा. बीआर अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के अलावा कई मंत्री और अन्य दलों के नेता भी शामिल होंगे।
दुनिया का कोई भी व्यक्ति ‘स्व-निर्मित’ नहीं होता। वह अपनी सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत और परिस्थितियों का उप-उत्पाद होता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व और कृतित्व के निर्माण में उसके घर-परिवार, शिक्षक, मित्र, शुभचिंतक और ‘शत्रुओं’ का भी योगदान होता है।
दुनिया का महान से महान व्यक्ति भी इस सूत्र से परे नहीं है। इसलिए डॉ. आंबेडकर के व्यक्तित्व और उनके विचारों को समझने के लिए महात्मा बुद्ध से लेकर संत कबीर, संत रविदास और महात्मा फुले तक की बौद्धिक विरासत को समझना आवश्यक है। दुसरे, दुनिया का हर महान व्यक्ति एक विश्व-विरासत है। बौद्धिक विरासत अर्जित की जा सकती है, जो वंश, जाति, काल और भूगोल से परे है।