प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगा. आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री एक डाक टिकट भी जारी करेंगे. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित रहेंगे|
एएमयू के लिए आज दिन सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि यूनिवर्सिटी अपने 100 साल मना रही है. बल्कि इसलिए भी खास है क्योंकि साल 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के बाद से यहां किसी भी प्रधानमंत्री ने भाषण नहीं दिया. भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू ने भी कभी यहां पर भाषण नहीं दिया.प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को लेकर विश्वविद्यालय में विवाद भी शुरू हो गया है. यहां के कुछ छात्र और शिक्षक प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का विरोध कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी का भाषण का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगा. लेकिन किसी भी अप्रिय गटना की आशंका के चलते विश्वविद्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है|
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का विरोध कर रहे मशहूर इतिहारकार इरफान हबीब ने कहा कि यूनिवर्सिटी के लिए ये गर्व की बात नहीं. उन्होंने कहा, ” यूनिवर्सिटी में स्कॉलर आते हैं. इससे कोई फर्फ नहीं पड़ता कि पीएम मोदी इस समारोह में शामिल हो रहे हैं या नहीं, खासकर तब जब पीएम प्राचीन संस्कृति पर देश को गुमराह कर रहा हो. अगर कोई प्रधानमंत्री सोचता है कि वो अपनी खुशामद करवाने के बाद ही ग्रांट देगा तो यह बिल्कुल गलत है.”एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को लेकर विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इसका स्वागत भी हो रहा है. एएमयू के कुछ शिक्षकों ने इस आयोजन का स्वागत किया है. विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र संकाय के प्रोफेसर रेहान अख्तर काजमी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि पीएम मोदी मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल होंगे|
उन्होंने एएमयू के कुलपति के प्रयास की प्रशंसा की और इसे विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक पल का नाम दिया, साथ ही संकाय और छात्रों के बीच उत्साह को साझा किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दो साल पहले विज्ञान भवन में एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर के साथ मुस्लिम लोगों को देखने के लिए अपनी इच्छा साझा की थी और यह आयोजन मुस्लिम समुदाय के लिए एक नई शुरुआत होगी|
1920 में हुई थी एएमयू की स्थापना, सर सैयद अहमद खान का था योगदान
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 1920 में भारतीय विधान परिषद के एक अधिनियम के माध्यम से एक विश्वविद्यालय बना. इस अधिनियम के तहत मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देकर एक विश्वविद्यालय बना दिया गया|