नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से कथित दुष्कर्म की वारदात के मुख्य गवाह तालिब हुसैन के परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी.
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तालिब हुसैन की हिरासत में कथित पिटाई के मामले को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका मानने से इनकार करते हुए कहा कि पुलिस मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर चुकी है. ऐसे में हम पिटाई के आरोप पर सुनवाई करेंगे. दरअसल, याचिका में कहा गया है कि कठुआ रेप केस में पीड़ित परिवार की मदद के चलते उन्हें एक झूठे रेप केस में फंसाकर, पुलिस हिरासत में उनका टॉर्चर हो रहा है. पुलिस उन्हें उठा कर लेकर गई है और उनका कोई पता नहीं चल पाया है.इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने रेप का आरोप लगाने वाली महिला को भी पक्षकार बनने की इजाजत दे दी.
दरअसल, तालिब हुसैन के परिवार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ताबिल की सुरक्षा और उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश कराने की मांग की थी. तालिब के परिवार ने आरोप लगाया गया है कि उसे एक फर्जी दुष्कर्म केस में फंसाकर न्यायिक प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आप ये साबित करिए कि तालिब को गैर कानूनी तौर पर हिरासत में लिया गया है. इसके जवाब में याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि महिला की शिकायत पर तालिब को गिरफतार किया गया है. जबकि एक अन्य FIR पर तालिब को अग्रिम जमानत मिली हुई थी.
कोर्ट ने कहा कि अगर गिरफ्तारी कानून के मुताबिक हुई है तो उस हिसाब से कानून काम करेगा. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि वो रिहाई के लिए नहीं आये हैं, बल्कि कस्टडी में टॉर्चर को लेकर आये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको समझना होगा कि अवैध हिरासत टॉर्चर और हिरासत में टॉर्चर अलग-अलग मामला है.
सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कोर्पस याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया जाए. याचिका में कहा गया कि सांभा पुलिस तालिब हुसैन का उत्पीड़न कर रही है.