यह 10 अक्टूबर से लेकर 18 अक्टूबर तक चलेंगे. 19 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. नवरात्रि के दौरान पूरे 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी. नवरात्रि के पहले दिन शैल पुत्री की पूजा की जाती है. इसी के साथ नवरात्रि के पहले दिन से ही माता के भक्त घरों में कलश स्थापित करते हैं. कुछ भक्त नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं तो कुछ पहला और आखिरी व्रत रख दुर्गा मां के प्रति अपना प्रेम उजागर करते हैं. बता दें, चैत्र नवरात्र
से हिन्दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है. इसीलिए शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन के बाद 10वें विजयदशमी मनाई जाती है.
1. शैलपुत्री मां दुर्गा का पहला रूप है शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. इन्हें करुणा और ममता की देवी माना जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्ति होती है.
2. ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा रूप है ब्रह्मचारिणी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से यश, सिद्धि और सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है.
3. चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा मान्यता है इन्हें पूजने से मन को शक्ति और वीरता मिलती है.
4. कूष्माण्डा मां दुर्गा का चौथा रूप है कूष्माण्डा. इनकी पूजा से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है.
5. स्कंदमाता मां दुर्गा का पांचवा रूप है स्कंदमाता मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में भी पूजा जाता है.
6. कात्यायनी मां दुर्गा का छठा रूप है कात्यायनी इन्हें गौरी, उमा, हेमावती और इस्वरी नाम से भी जाना जाता है.माना यह भी जाता है कि जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही होती है, वह मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कात्यायिनी माता की ही पूजा करती हैं.
7. कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां रूप है कालरात्रि मान्यता है यह माता हमेशा शुभ फल ही देती हैं इसीलिए इन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है.
8. महागौरी मां दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी. इस दिन मां को चुनरी भेट करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
नवरात्रि क दौरान मां दुर्गा का नौवां रूप होता है सिद्धिदात्री मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से रूके हुए हर काम पूरे होते हैं और हर काम में सिद्धि मिलती है.