केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने मान लिया है कि नोटबंदी का फैसला देश के किसानों के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा था. नवंबर 8, 2016 को लिए गए इस फैसले से किसानों की आर्थिक हालत पर बहुत बुरा असर पड़ा था. संसदीय समिति को दी गयी अपनी रिपोर्ट में कृषि मंत्रालय ने बहुत बड़े खुलासे किए हैं, जो चौंकाते हैं. नोटबंदी के फैसले के कारण किसानो पर काफी बुरा असर पड़ा. नगदी की कमी के चलते लाखों किसान, रबी सीजन में बुआई के लिए बीज-खाद नहीं खरीद पाए. नोटबंदी लागू होने के समय किसान या तो अपनी खरीफ की पैदावार बेच रहे थे या फिर रबी फसलों की बुआई कर रहे थे. ऐसे समय में किसानों को नगदी की बहुत ही जरूरत होती है, पर उस समय कैश की कमी के चलते लाखों किसान बीज और खाद न खरीद पाए. बड़े किसानों को भी खेती के कामों का मेहनताना देने में और खेती की जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत का सामना करना पड़ा. कैश की किल्लत के कारण राष्ट्रीय बीज निगम के लगभग 1 लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे. बाद में सरकार ने गेहूं के बीज खरीदने के लिए 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों के इस्तेमाल करने की छूट दी थी. कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की इस छूट के बाद भी बीज की बिक्री में कोई खास तेजी नहीं आई थी.
गौरतलब है कि 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात आठ बजे नोटबंदी का ऐलान किया था. इस फैसले से बाजार में जारी 500 और 1000 रुपये के नोट बैन हो गए थे. सरकार के इस ऐलान से आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
नोटबंदी का फैसला देश के किसानों के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण
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