केंद्र सरकार ने रविवार स्पष्ट कर दिया की पहले सीडीएस के तौर पर जनरल विपिन रावत को चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ के लिए नियुक्त किया गया है वह 31 दिसंबर को सेनाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके स्थान पर मनोज मुकुंद नरवाणे नए सेनाध्यक्ष का पद संभालेंगे।
जी हाँ हम आपको बता दे की कारगिल युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं में ताल मेल की कमी साफ़ देखी जा सकती थी | यह पहली बार नहीं था जब तीनों सेनाओं में एकजुटता की कमी दिखी थी , इससे पहले भी सेना व वायुसेना के बिच ताल मेल की कमी और खटास को समझा जा सकता था , इसी मद्दे को नज़र देखते हुए पूर्व सरकार ने तीनों सेनाओं की बागडोर किसी एक प्रमुख को सौंपने के बारे में विचार की हला कि इसका विरोध सेना और विपक्ष दोनों ही पुर जोर किये जिसमें उन्हों ने कहा की तीनों सेना की बागडोर किसी एक को दे कर रक्षा शक्ति को केन्द्रित करना किसी नयी समस्या को जन्म देने जैसा हैं जिससे भविष्य में मतभेद होना तय हैं, इस बात को सीधे नकारते हुए केंद्र सरकार ने नया बिल ला कर दोनों ही सदनों में समर्थन हासिल कर इस पद को देश हित में प्रस्तुत किया |
साल 2012 में गठित नरेश चंद्र समिति ने बीच का रास्ता निकालते हुए चीफ ऑफ स्टाफ समिति (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष की सिफारिश की थी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत सीओएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है मगर इसके परिणाम आशा के अनुसार नहीं रहे हैं। सेना में सुधार के लिए गठित डीबी शेतकर समिति ने दिसंबर 2016 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें 99 सिफारिशों सहित सीडीएस की नियुक्ति के मुद्दे को उठाया गया था।
तीनों सेनाओं ने लगातार सीडीएस के गठन की मांग की है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी कारगिल सीक्षा समिति की सिफारिश को मजबूती से उठाया, लेकिन केन्द्र सरकार सीडीएस के गठन से परहेज करती रही। करीब 19 साल तक यह सिफारिश ठंडे बस्ते में पड़ी रही।