नई टिहरी। देश के 25 राज्यों में आरजेएस और टीजेएपीएस केबीएसके द्वारा सकारात्मक भारत आंदोलन चलाया जा रहा है। इस वक्त उत्तराखंड सप्ताह यात्रा 19से 25फरवरी तक सकारात्मक यात्राओं और बैठकों से क्रांतिकारी सकारात्मक बदलाव लाने की एक कोशिश है। देवभूमि रसोई के पंकज अग्रवाल के सहयोग से टीम आरजेएस प्रतिनिधिमंडल सभी तीनों आरजेएस स्टार राजेंद्र सिंह यादव ,प्रखर वार्ष्णेय और प्रांजल श्रीवास्तव राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के नेतृत्व में रूड़की हरिद्वार, देहरादून , मंसूरी, धनौल्टी,गुगुति रिजाॅर्ट, में बैठकें और लघु बैठकें करते हुए 24 फरवरी को नई टिहरी प्रेस क्लब पहुंचा । यहां आरजेएस (राम-जानकी संस्थान नई दिल्ली) की 132वीं बैठक का आयोजन कुलदीप पंवार, कनिष्ठ प्रमुख,थाॅलदार ब्लाॅक , टिहरी गढ़वाल ने पहाड़ी खाना को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया।
बैठक की अध्यक्षता लक्ष्मी प्रसाद भट्ट,अध्यक्ष होटल एसोसिएशन, टिहरी ने किया।इस अवसर पर राजेश डयूडी अध्यक्ष व्यापार मंडल,नई टिहरी इसके अलावा राकेश राणा ,अमरीश पाल, करणसिंह टोपवाल, मुर्तजा बेग, लखबीर चौहान, कौशल्या पाण्डेय, लखपति पोखरियाल, गीता चौहान आदि उपस्थित रहे। बैठक के आयोजक कुलदीप पंवार ने कहा कि आरजेएस प्रतिनिधि मंडल के सम्मानित सदस्य और देवभूमि रसोई के पंकज अग्रवाल का ये प्रयास एक दिन जरूर रंग लाएगा। हम नई टिहरी आनेवाले देसी विदेशी पर्यटकों को पहाड़ी खाना उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ेंगे ।श्री पंकज अग्रवाल ने आमंत्रित सभी व्यापारियों ,पत्रकारों और महिला समाज सेवियों का स्वागत करते हुए कहा कि देवभूमि रसोई यानी पहाड़ी खाना दुनिया के सामने आना चाहिए।
श्री पंकजअग्रवाल ने कहा कि टिहरी में राजदरबार के वंशजों का शाही भोजन और पहचान अभी तक लोगों के सामने नहीं आ पाया है। मैं नई टेहरी के युवाओं से और टिहरी के होटल-रेस्टोरेंट, व्यवसाई और मालिकों से अनुरोध करता हूं कि राज दरबार का खाना दुनिया के सामने लाएं ।निश्चित रूप से वह बहुत बेहतरीन पकवान होंगे। कुछ एक विशेष व्यंजन -जैसे सर्द आचारी, शहदी रोटी , भरिया रोटियां और मसाला रोटी की रेसिपी रॉयल हाउस आॅफ टिहरी से मैंने सधन्यवाद प्राप्त की और ये शाही भोजन उसी तरीके से परोसा जाए तो तो पर्यटकों के आनंद में चार चांद की बढ़ोतरी कर सकते हैं।
हम लोग उसकी कमर्शियल वैल्यू बहुत आगे तक बढ़ा सकते हैं जो रोजगार को बढ़ा सकता है।
पहाड़ी खाना के ब्रांडिंग की बेहद जरूरत है और रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे और पलायन रूकेगा। पहाड़ी अन्न और सब्जियों की उपज चुंकि ऊंचाई पर होती है और अनाज में कोई प्रदूषण नहीं होता। इसलिए पहाड़ी भोजन स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद होता है।
उत्तराखंड का भोजन सबसे सादा और बनाने में आसान होता है।ये कांसा ,तांबा,पीतल और जस्ता के बर्तनों में परोसा जाए तो आनेवाले पर्यटकों को पर्यटन की दृष्टि से ये संदेश भी दिया जा सकताहै कि पहाड़ी भोजन की सार्थकता और प्रामाणिकता आज के प्रदूषित वातावरण में बहुत ज्यादा है।
आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि अन्य राज्यों की संस्कृति की तरह पहली बार आरजेएस फैमिली और पॉजिटिव मीडिया ने उत्तराखंड संस्कृति व व्यंजन को समर्थन देनेके लिए 19 फरवरी से 25 फरवरी तक यात्रा कर समर्थन दिया है।
25फरवरी को आरजेएस की 133वीं सकारात्मक बैठक ऋषिकेश, उत्तराखंड में उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों पर आयोजित की जाएगी।