शिक्षण संस्थानों की भट्ठी में तपकर विद्यार्थी एक जिम्मेदार नागरिक बनता है और राष्ट्र के प्रगति के लिए कर करता है। परन्तु बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि देश के कुछ शिक्षण संस्थान शिक्षा को व्यापार बनाकर अपना पेट भर रहे हैं और विद्यार्थियों का अनैतिक रूप से शोषण कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं से व्यक्ति समाज और राष्ट्र हित तीनों प्रभावित हो रहे हैं। स्तंभ किसी पत्रकार ने उसकी उसकी आवाज को उठाने का प्रयास किया तो कॉलेज के प्रबंधन ने उसकी आवाज को दबाने के लिए पुलिस में झूठा मामला दर्ज करा दिया।
परंतु झूठ की दीवार कितनी भी मजबूत क्यों ना हो वह सच की एक हथौड़े में ही ढह जाती है।
बीते दिनों पत्रकार ललित पंडित पर दर्ज हुए मुकदमे के संबंध में नॉलेजपार्क पुलिस द्वारा कोर्ट में जाँच रिपोर्ट की कांपी जमा की गई। पुलिस की जाँच से साफतौर पर यह स्पष्ठ होता है कि उक्त मामले सिर्फ दबाब बनाने के लिए दर्ज कराया गया है।
ऐसे में किसी भी पत्रकार द्वारा खबर करना भी दूभर हो गया है। पत्रकार द्वारा खबर की गई तो कॉलेज प्रबंधकों द्वारा चिढ़न की वजह से कोर्ट में 156/3 का प्रार्थना पत्र डालकर मुकदमा पंजीकृत करवा दिया।
गौरतलब है कि कोर्ट में 156/3 के प्रार्थना पत्र पर सिर्फ वादी पक्ष को ही सुना जाता है दूसरे पक्ष को अपनी बात रखने तक का मौका नही मिलता। साथ ही जरूरी नही है कि 156/3 के लिए साक्ष्य उपलब्ध हो। ऐसे में पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कराना बहुत आसान काम हो जाता है।
लेकिन यह मुकदमा दर्ज होना उस पत्रकार के लिए कितना हानिकारक सिद्ध हुआ है यह सिर्फ वही समझ सकता है। आजकल के समाज मे लोग मुकदमा दर्ज होते ही व्यक्ति को दोषी समझ लेते है। मुकदमे की जाँच तक का इंतजार नही करते।
पत्रकार ललित पंडित ने इस पूरे मामले में कॉलेज प्रबंधन को दोषी ठहराया है और अनियमित रूप से पत्रकार एवं छात्रों को प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया है।
पत्रकार ललित पंडित ने बताया कि उनपे और स्टूडेंट्स पर दर्ज कराया गया यह मुकदमा फर्जी है
खबर चलाने पर भड़के कॉलेज प्रबंधकों द्वारा पत्रकार व स्टूडेंट्स पर दर्ज कराया फर्जी मुकदमा
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