नई दिल्ली: स्कूल में जब ड्रॉइंग बनाने की बारी आती. सारे बच्चे वही पहाड़, नदी के चित्र बनाते. लेकिन करनाल की बेटी कल्पना उन पहाड़ों और नदियों के ऊपर हवाई जहाज का चित्र बना देतीं.
वो बचपन में सितारों के बीच उड़ने का सपना देखती थी. आंखों में एक अलग चमक थी, एक अलग जज़्बा था. इसी जज़्बे ने और आसमान में उड़ने के इसी सपने ने, मोंटो (बचपन का नाम)को एक दिन कल्पना चावला बना दिया.
भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला जी की पुण्यतिथि आज 01 फरवरी को है।
रामजानकी संस्थान ,आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि उनकी स्मृतियां आज भी अनेकों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं।गुभाना- झज्जर, हरियाणा के निवासी श्री नरेश कौशिक , (अध्यक्ष,श्री श्याम लोकहित समिति )और श्रीमती योगेश बाला,ने अपने पिताजी स्व०कपूरचंद कौशिक (भतीजा-स्वतंत्रतासेनानी पं०श्यामलाल कौशिक) की स्मृति में कल्पना चावला जी के नाम पर आरजेएस राष्ट्रीय सम्मान 2021 घोषित किया। नरेश कौशिक हरियाणा और दिल्ली में रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन समय-समय करके आरजेएस स्टार अवार्ड 2018 सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं।
श्री कौशिक के पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। आरजेएस फैमिली द्वारा सकारात्मक भारत आंदोलन के अंतर्गत
महापुरुषों और पूर्वजों के सम्मान की ये अनूठी पहल आगामी पुस्तक में प्रकाशित की जाएगी।
आरजेएस फैमिली के तमाम लोग अपने परिवार की दिवंगत आत्माओं की स्मृति में महापुरुषों के नाम का सम्मान रख रहे हैं ,जो आरजेएस के राष्ट्रीय कार्यक्रम जयहिंदजयभारत में प्रदान किए जाएंगे। श्री मन्ना ने बताया कि आज कल्पना चावला और श्री कौशिक के दिवंगत पिताजी को आरजेएस फैमिली से जुड़े 25 राज्यों के लोगों के बीच श्रद्धांजलि दी जा रही है और इन पर चर्चा करके नई पीढ़ी को सकारात्मक कार्यों की तरफ प्रेरित किया जा रहा है।
हरियाणा स्थित करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं।स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और 1984 से टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
1988 में उन्होंने नासा के लिए काम करना शुरू किया। 1995 में कल्पना नासा में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्रीऔर राकेश शर्मा के बाद दूसरी भारतीय बनीं। 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया।
कल्पना ने 1.04 करोड़ मील सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं, साथ ही 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए।
1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। कल्पना अपने 6 साथियों के साथ दुर्घटना का शिकार हो गईं।कल्पना चावला नहीं रहीं, लेकिन उनकी कहानी, उनकी उड़ान, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी। ज्योतिसर,कुरुक्षेत्र(हरियाणा) में हरियाणा सरकार ने तारामंडल बनाया जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर् रखा गया है।