उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से हुई त्रासदी से सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए अब ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस हादसे में अबतक 32 शव बरामद हो चुके हैं. आटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां पिछले तीन दिनों से टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं. इस त्रासदी के बाद 175 लोग लापता हैं|
तपोवन की टनल से जेसीबी की मशीनें लगातार मिट्टी निकालने का काम कर रही है. रेस्क्यू टीम को 180 मीटर तक मिट्टी हटानी है. राहतकर्मी अभी तक तपोवन टनल में 120 मीटर अंदर तक मलबा हटा चुके हैं. 60 मीटर और खुदाई का काम बचा है. इसके बाद ही मजदूरों के मिलने की उम्मीद है|
बांध के पास छोटी बस्ती में कई परिवार को सुरंग के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार है. कांचुला गांव के दीपक नगवाल के बहनोई सतेश्वर सिंह सुरंग के भीतर मेकैनिक का काम करते थे. हिमखंड के टूटने के समय सतेश्वर सुरंग के भीतर ही थे. आपदा के बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है|
दीपक के बहनोई के बड़े भाई और अन्य परिजन तपोवन के पास अपने रिश्तेदार के बारे में किसी अच्छी खबर सुनने के इंतजार में रूके हैं. जब भी कोई सुरक्षाकर्मी सामने आता है तो वे उनकी खोज-खबर लेते हैं. हालांकि, अब तक उन्हें सतेश्वर के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है. चमोली के किमाना गांव के तीन लोग भी सुरंग में फंसे हैं. गांव के 40 से ज्यादा लोग तपोवन में उनकी राह देख रहे हैं. किमाना गांव के दर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके तीन रिश्तेदार-अरविंद सिंह, रामकिशन सिंह और रोहित सिंह सुरंग के भीतर फंसे हैं. सुरंग के भीतर फंसे कुछ और लोगों के परिवारों को अपनों के बारे में किसी सूचना का इंतजार है|