दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और ऑक्सीजन की कमी समेत अन्य मुद्दों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार को लेकर सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार से दिल्ली के हालात नहीं संभल रहे हों तो क्यों ना इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को दे दी जाए|
वहीं दिल्ली के अशोका होटल के 100 कमरों को हाइकोर्ट के जजों के लिए हॉस्पिटल बेड बनाने के दिल्ली सरकार के आदेश पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे माहौल में जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं कोर्ट ऐसा सोंच भी कैसे सकती है. दिल्ली सरकार ने किसके कहने पर यह आदेश जारी किया. जिस बदली सरकार ने अपने आदेश को वापस ले लिया|
मामले की सुनवाई के दौरान महाराजा अग्रसेन अस्पताल की तरफ से कहा गया कि वैसे तो हम हर जरूरतमंद को ऑक्सीजन मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आदेश यह जारी किया गया है कि हमको हर इमरजेंसी वाले मरीज को 10 मिनट के अंदर इलाज देना होगा|
वहीं, हालत यह है कि पूरा अस्पताल भरा हुआ है एक मरीज को भर्ती करने की जगह नहीं है और सिर्फ इस वजह से हमको मरीज को हर हाल में इलाज देना है. हम इमरजेंसी रास्तों को बंद नहीं कर सकते और दूसरे मरीजों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते. महाराजा अग्रसेन अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पिछले 7 सालों से अस्पताल को 2 मेट्रिक टन ऑक्सीजन मिलती थी लेकिन 22 से 27 अप्रैल के बीच अस्पताल को बिल्कुल भी ऑक्सीजन नहीं मिली|
इस बीच शांति मुकुंद अस्पताल की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि हमारा ऑक्सीजन का कोटा कम कर दिया गया है इसके चलते हमारे पास ऑक्सीजन खत्म हो गई है. शांति मुकुंद अस्पताल के वकील ने कहा कि हमारा कोटा 3.2 मेट्रिक टन का था फिलहाल मांग 4 मेट्रिक टन तक पहुंच गई है. जबकि दिल्ली सरकार की तरफ से हमको सिर्फ 2.39 MT ही दी जा रही है. हालत यह हो गई है कि किस मरीज को कितनी ऑक्सीजन देनी है यह भी अपने दफ्तर में बैठे हैं सरकारी बाबू तय कर रहे हैं|
अस्पताल की तरफ से कहा गया दिल्ली सरकार ने आईसीयू और नॉन आईसीयू बेड में कितनी ऑक्सीजन मरीज को देनी है उसके लिए दिल्ली सरकार ने एक अपना फॉर्मूला तय कर लिया है. साथ ही उसी के हिसाब से अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. इस बीच वेंकटेश्वरा अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसके पास ऑक्सीजन खत्म हो रही है लेकिन नोडल ऑफिसर की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा. जिस पर कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से अस्पतालों की तरफ से शिकायत मिल रही है उससे साफ पता चल रहा है कि एक बड़ी दिक्कत है और यह सच्चाई है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिर इतने सारे आदेश और सुविधा का क्या मतलब रह जाता है अगर अभी भी अस्पतालों को कोर्ट का दरवाजा ही खटखटाना पड़ रहा है|
चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि हमने अस्पतालों से पूछा है कि उनकी जाने की कितनी ऑक्सीजन की खपत है साथ ही सप्लायर से भी पूछा कि अगले 3 दिनों के दौरान वह दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन सप्लाई कर सकते हैं? जिससे कि हम अस्पतालों को उसी हिसाब से ऑक्सीजन मुखिया करा सकें. एक बार जब यह सारी जानकारी सरकार के पास आ जाएगी तो हम बेहतर पोजीशन में होंगे अस्पतालों का ऑक्सीजन का कोटा तय करने को लेकर.
इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को अस्पतालों की दिक्कतों को अभी ध्यान रखना होगा. ऐसा नहीं है कि हम बिना अस्पतालों की दिक्कत और परेशानियों को समझें कोई भी आदेश जारी कर दें. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने सिर्फ इतना कहा है कि 10 से 15 मिनट के भीतर इलाज दे देना चाहिए. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि ये सिर्फ कागज़ी कार्रवाई से ज्यादा कुछ नहीं दिखती. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप इस तरीके के आदेश जारी कर कुछ हासिल नहीं कर सकते उल्टा इससे स्थिति को और ज्यादा पेचीदा कर देंगे|
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकीलों से पूछा कि क्या आप के सरकारी अस्पतालों में इस बात का पालन हो रहा है कि किसी भी मरीज को इलाज से मना ना किया जाए? कोर्ट ने कहा कि इस तरीके के आदेश की जरूरत नहीं है क्योंकि अस्पताल भी अपना काम कर रहे हैं. इस आदेश के जरिए तो यह मान लिया गया की अस्पताल अपना काम कर ही नहीं रहे|
दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि कल दिल्ली को 400 मेट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन की सप्लाई मिली. दिल्ली सरकार के वकील इसके साथ ही कोर्ट को यह भी बताया कि जरूरत के हिसाब से टैंकर का इंतजाम भी हो गया है वहीं कुछ टैंकर को इंपोर्ट भी किया जा रहा है|
कोर्ट को जानकारी दी गई कि कल चीफ सेक्रेटरी के साथ जो बैठक हुई उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाले अधिकतर लोग शामिल नहीं हुए जिस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वह लोग नहीं मान रहे तो आप उनके खिलाफ कार्रवाई कीजिए..कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी चल रही है इस पर रोक लगाने की जरूरत है ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है|