चारों तरफ हाहाकार, शोकाकुल लोग और बिछड़ते हुए साथी दिखाई दे रहे हैं। लोग कहते हैं कोरोना से मौतें हो रही है, मन में सवाल उमड़ता है क्या वाकई में सिर्फ कोरोना इसका ज़िम्मेदार है? कुछ लोग कहते हैं सिस्टम भी इसका ज़िम्मेदार है लेकिन कोई ये बताए ये सिस्टम है कौन? छोटे से विज्ञापनों में भी देश के मुखिया का चेहरा इस कदर प्रस्तुत किया जाता है कि जैसे मानो रण विजय किया हो लेकिन जब बिगड़ते हालात की जिम्मेदारी लेनी की बात आती है तो सिस्टम कहकर मुखिया जी को बचा लिया जाता है। क्यों नहीं देश के प्रधानमंत्री मोदी आगे आकर जलती हुई चिताओं, दम तोड़ती सांसों, और बिलखती हुई किलकारियों की ज़िम्मेदारी लेते, देश के प्रधानमंत्री की प्रभुता, गरिमा, अक्षुणता ऐसे वक्त में कहां गायब हो गई जिसे मोदीजी ने ये कहते हुआ दोहराया था कि मैं इस देश के देशवासियों की रक्षा करूंगा। अब रक्षा तो छोड़िए आपने रक्षा करने की कोशिश भी नहीं की। आपदा के दौर में देश के प्रधानमंत्री से गुजारिश है कि कम से कम उन लोगों के परिवार वालों को मुआवजा ही दे दीजिए जिन्हें आपके सिस्टम की आहुति चढ़ना पड़ा? आप इतने कमज़ोर तो नहीं हो सकते माननीय मोदीजी!!!