नई दिल्ली : जज्बे, अहसास, शिद्दत और सच्चाई के शायर साहिर ने अपनी शायरी से दरबार और सरकार के खिलाफ आवाज तो बुलंद की ही, साथ ही उन्होंने अपने दौर में ही आज के हालात को अपनी नज्मों में बयां कर दिया था। बॉलीवुड के उसी विलक्षण शायर को पिछले दिनों दिल्ली में एक स्टेज सिंगिंग शो के जरिये सुरमयी श्रद्धांजलि दी गई। यह केवल एक महज एक सिंगिग शो या श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं था, बल्कि कार्यक्रम संगीत की एक आकाशगंगा थी जिसकी चकाचौंध में लोग घंटों खोये रहे। फिलहारमोनिक सिंगर फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष जसवंत सिंह मल्होत्रा और सखा कल्चरल सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष अमरजीत सिंह कोहली द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में नोएडा फिल्म सिटी के संस्थापक डॉ. संदीप मारवाह, सबसे पुराने संगीत शिक्षण संस्थान सरस्वती संगीत कॉलेज के निदेशक बीआर सैनी, महान संगीत निर्देशक अनिल बिस्वास की बेटी और दिल्ली और मुंबई में अनिल बिस्वास फाउंडेशन और संगीत स्मृति चलाने वाली सीमा वोहरा बिस्वास, इबादत फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष पृथ्वी हल्दिया, उच्च स्तरीय सेलिब्रिटी शो के आयोजक और वार्षिक गायन प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवा गायकों के प्रमोटर संजय मलिक, मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे, मुकेश, तलत महमूद, मोहिंदर कपूर, सीएच आत्मा के कई लाइव शोज़ कंपेयर कर चुके 95 वर्षीय केसी खुराना की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में सात वर्षीय एहसास क़ैसर, 19 वर्षीय इशिता गुजराल, 14 साल की जेन्या विश्वकर्मा, 20 वर्षीय आरोह शंकर, 14 वर्षीय सुकन्या रावत और 25 वर्षीय चंदर प्रकाश, अभिषेक किशोर, अमृतांशु शर्मा, नितिन कपूर, श्वेता किशोर, जर्नीगर कैसर, जरताज कैसर आदि किशोर—युवा गायक साहिर के लिखे सुपरहिट एवं कर्णप्रिय गीतों को अपने सुरों में बांधकर शो का आकर्षण का केंद्र बने। खास बात यह कि इस शो के मंच कम्पेयर नरेश खन्ना थे, जबकि म्यूजिक अरेंजर बैजनाथ गोसा और सुशांत घई शो के वीडियोग्राफर थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले 56 वर्षों से युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा दे रहे कार्यक्रम के आयोजकों में से एक अमरजीत सिंह कोहली अब 80 वर्ष के हो गए हैं, लेकिन संगीत की दुनिया में आज भी दम—खम से सक्रिय हैं। गायन प्रतियोगिताओं के माध्यम से उनके द्वारा पहली बार खोजे गए कई गायक आज बॉलीवुड के नामी पार्श्व गायक हैं। उनमें सोनू निगम का नाम भी शामिल है, जिन्होंने 34 साल पहले 31 जुलाई, 1988 को सिंगिंग प्रतियोगिता जीती थी। उस वक्त वह नौवीं कक्षा के छात्र थे। वहीं, दिल्ली परिवहन निगम के मुख्य महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त जसवंत सिंह मल्होत्रा ने कुछ साल फिलहारमोनिक सिंगर्स फाउंडेशन की स्थापना की थी। वह भी तीन साल से गायन प्रतिभा को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने अपना जीवन बड़े पैमाने पर सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया है
सात से 25 साल की उम्र के गायकों ने 60—70 साल पुराने गीतों के जरिये साहिर लुधियानवी को दी सुरमयी श्रद्धांजलि
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