नई दिल्ली : एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ने 1 से 4 दिसंबर 2022 के बीच ‘द मानेकशॉ सेंटर’, नई दिल्ली में ‘पर्सनलाइजिंग आइसोडोज, क्यूरिंग लाइव्स’ विषय पर अपना 42वां वार्षिक सम्मेलन ‘एरोकॉन’ आयोजित किया।
मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट- डॉ. अनिल जैन, राष्ट्रीय निदेशक, आयुष- रघुनाथ राव, डॉ. राजेश वशिष्ठ, अध्यक्ष एआरओआई और डॉ. जी वी गिरी, सचिव, एआरओआई ने 42वें एरोकॉन सम्मेलन का उद्घाटन किया।लोकसभा स्पीकर, ओम बिरला ने भी आखिरी दिन इस कांफ्रेंस में शिरकत की औऱ एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट की सराहना की। डॉ जी के रथ एवं डॉ के टी भौमिक इस कार्यक्रम के मेंटर रहे।
डॉ. मुनीश गैरोला, अध्यक्ष, आयोजन समिति, एआरओआई, निदेशक रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र, दिल्ली ने बताया कि 1500 से अधिक, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डॉक्टर्स ने वार्षिक बैठक व सम्मलेन में भाग लिया और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की नई तकनीकों और चिकित्सा पद्वति पर चर्चा की।
डॉ. मनीष पांडे, महासचिव, आयोजन समिति, एआरओआई, सीनियर कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, बालाजी एक्शन कैंसर हॉस्पिटल, दिल्ली ने बताया कि, कैंसर के उपचार को जनता के लिए सस्ता और अफोर्डेबल बनाने के लिए हम एमआरआई गाइडेड लीनियर एक्सेलरेटर और प्रोटॉन थेरेपी के साथ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की लागत और जटिलताओं को नियंत्रित करने के लिए काम कर रहे हैं। प्रोटॉन थेरेपी, जिसे प्रोटॉन बीम थेरेपी भी कहा जाता है, एक प्रकार की रेडिएशन चिकित्सा है। यह कैंसर के इलाज के लिए एक्स-रे के बजाय प्रोटॉन का उपयोग करता है। एक प्रोटॉन एक सकारात्मक रूप से आवेशित कण है। उच्च ऊर्जा पर, प्रोटॉन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं।
AROI की नई कार्यकारी समिति 2023 -2024 के लिए चुनी गई है और डॉ. मनोज गुप्ता प्रोफेसर और प्रमुख, एम्स, ऋषिकेश को अध्यक्ष और डॉ. वी श्रीनिवासन को एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया के महासचिव के रूप में चुना गया है।
4 दशकों से अधिक समय से कैंसर के इलाज को सस्ता, सुलभ और सफल बनाने के मिशन पर सक्रिय रूप से काम कर रहे एआरओआई (एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया) के देश भर से 4500 सक्रिय सदस्य हैं। AROICON प्रतिवर्ष विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है। दिल्ली में 40 साल बाद 42वें एरोकॉन 2022 का आयोजन हो रहा है। एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया अपने संबंधित विषयों के साथ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों को बहुत अधिक महत्व देता है। स्नातकोत्तर शिक्षण, नैदानिक अभ्यास, और इस अनुशासन के पर्याप्त विकास के समग्र मानकों में सुधार करने के लिए 1992 में एसोसिएशन के एक समर्पित और अभिन्न अंग के रूप में इंडियन कॉलेज ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट की स्थापना की गई थी।