भारत लोक शिक्षा परिषद्, पूर्वी दिल्ली चैप्टर द्वारा 18 से 21 मार्च 2023 तक वाराणसी की वनयात्रा BLSP के राष्ट्रीय कार्यकारी प्रधान अखिल गुप्ता , संयुक्त महामंत्री सुनील गुप्ता , पूर्वी दिल्ली चैप्टर के चेयरमैन, पी.के. जैन , कार्यकारी प्रधान राजीव बंसल , संयुक्त महामंत्री श्री प्रवीन गुप्ता जी, वाराणसी चैप्टर के कोषाध्यक्ष राजीव अग्रवाल के प्रयास से की गयी | इस वनयात्रा में 67 लोगों ने दिल्ली से भाग लिया जिसमें लगभग 45 नये सदस्य शामिल हुए | इस वनयात्रा के माध्यम से 72 एकल विद्यालयों के सहयोग भी प्राप्त हुआ |
इस वनयात्रा का उद्देश्य एकल द्वारा संचालित विद्यालयों का प्रत्यक्ष दर्शन करना, विद्यालय की संचालन प्रणाली को समझना, नए सदस्यों को जोड़ना, समिति सदस्यों को सक्रिय करना एवं वाराणसी चैप्टर को प्रोत्साहित करना था |
वनयात्रा 18 मार्च को प्रातः 6:00 बजे दिल्ली से प्रभु श्रीराम जी का जयकारा लगाते हुए प्रारंभ हुई| वाराणसी पहुँचने पर चैप्टर की टीम एवं समिति के बन्धुओं ने ढ़ोल नगाडे से एवं फूल माला पहनाकर सभी वन यात्रियों का स्वागत किया |
पहले दिन सभी लोगों ने काशी विश्वनाथ पहुंचकर रुद्राभिषेक किया और बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया |
दूसरे दिन 19 मार्च को सभी वनयात्री संभाग- पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाग- काशी, अंचल सारनाथ में स्थित एकल विद्यालय ग्राम भद्राशी पहुंचे जहाँ पर सभी ने एकल विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम में भाग लिया और बच्चों के साथ सभी वनयात्री खूब झूमें | एकल श्रीहरि के कलाकारों ने सभी को भजन सुनाकर अभिभूत कर दिया | एकल विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की बहुत ही सुंदर झलकियाँ प्रस्तुत की जिसे देखकर सभी लोगों का हृदय प्रेम भाव से भर गया |
भाग- काशी में संचालित हो रहे एकल विद्यालय ग्राम रमसीपुर के विद्यालय को भी सभी ने देखा | एकल विद्यालय के बच्चों ने बड़े ही उत्साह के साथ वर्णमाला, खेल-खेल में गिनती, चौपाई, एकल विजय मंत्र एवं भजन भी सुनाये |
सायं 7 बजे से कवि सम्मेलन, एकल प्रेजेंटेशन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया | जिसमें लगभग 110 लोग शामिल हुए | दीप प्रज्ज्वलन एवं एकल गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुवात हुई | प्रसिद्ध हास्य कवि शिवकुमार व्यास (लखनऊ) एवं श्री अजय प्रधान (बाराबंकी) ने हास्य पाठ के माध्यम से सभी को खूब हँसाया |
सुनील गुप्ता (राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री, BLSP) ने व्यवस्थित एवं कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, जागरण एवं स्वावलंबन के बारे में सभी को बताया | एकल विद्यालय के संचालन से गांव में किस तरह से विकास हो रहा है इसके बारे में भी सभी लोगों को बताया |
भारत लोक शिक्षा परिषद् के राष्ट्रीय प्रधान श्री नीरज रायज़ादा जी ने एकल का प्रेजेंटेशन दिया और एकल द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में सभी को अवगत कराया और बताया कि भारत लोक शिक्षा परिषद् राष्ट्र निर्माण के लिए किस प्रकार से तन-मन-धन से कार्य कर रहा है| हमारे संत समाज, राजनेता एवं सेलिब्रिटी एकल के बारे में क्या कहते हैं इसको भी वीडियो के माध्यम से सभी को बताया |
सभी लोगों ने अपना अनुभव भी साझा किया और एकल का प्रेजेंटेशन देखने के बाद कहा कि यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि हमें एकल विद्यालय को देखने का अवसर मिला जहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, जागरण एवं स्वावलंबन सभी विषयों पर कार्य किया जा रहा है |
नीरज रायज़ादा द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन की सभी वनयात्रियों ने खूब सराहना की, और कहा कि इसके माध्यम से एकल के बारे में बहुत कुछ समझने का अवसर हमें प्राप्त हुआ | ऐसा राष्ट्र निर्माण का कार्य और कोई नहीं हो सकता |
प्रेरक प्रसंग –
इस वनयात्रा में हमें कई अविस्मरणीय झलक देखने को मिले, लेकिन उन सबमें जो सबसे अधिक भाव विभोर करने वाला पल वह था जब श्री अखिल गुप्ता जी, राष्ट्रीय कार्यकारी प्रधान BLSP के सुपुत्र कुमार ओमांश गुप्ता जो 7 वर्ष का एक छोटा सा बालक है और पहली बार वनयात्रा पर गया, जब इस बालक ने सुना कि मात्र 22 हजार रुपये में एक साल तक विद्यालय चलते हैं तो वह बड़ा हैरान हो गया, और उसने अपने पिता जी से पूछा कि यह कैसे संभव है जबकि दिल्ली जैसे शहरों में एक महीने की फीस भी इससे अधिक होती है | उसके सवालों का जबाब देने के लिए अखिल गुप्ता जी ने एकल विद्यालय की संचालन प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से दिखाने के लिए वनयात्रा पर ले गये | यह सुनकर बड़ा ही प्रेरक विचार मन में आ रहा है कि खेलने कूदने की उम्र में उस बालक ने एकल विद्यालय से प्रभावित होकर एक एकल विद्यालय का सहयोग देने का संकल्प लिया | इतनी कम उम्र में राष्ट्र निर्माण के प्रति ऐसा चिंतन निश्चित रूप से लोगों को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित करेगा |
सेवा और समर्पण के इस भाव के लिए कुमार ओमांश गुप्ता को आदरणीय ट्रस्टी सुरेंद्र जिंदल जी एवं वाराणसी चैप्टर के प्रधान श्री आर. के. चौधरी जी ने सम्मानित किया और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी| यह बहुत ही सकारात्मक पहल है जो निश्चित रूप से लोगों को एकल से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा |
हमें अपने बच्चों को सामाजिक कार्यों से जोड़ने के लिए ऐसी पहल का समर्थन करना चाहिए, जिससे जो हम कर रहे हैं वह संस्कार हमारे बच्चों में भी बचपन से ही विकसित हो | आप सभी अपने बच्चों को एक बार राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एकल विद्यालय की वनयात्रा पर अवश्य ले जाएँ |
सुरेन्द्र कुमार जिंदल (ट्रस्टी, BLSP)- जी ने कहा कि – “जब समाज का सबसे पिछड़ा हुआ व्यक्ति आगे बढ़ेगा तो सम्पूर्ण समाज का उत्थान होगा और जब नेतृत्व कुशल होता है तो विकास बहुत व्यापक स्तर पर होता है। आज एकल गांव के अंदर कंप्यूटर की ट्रेनिंग, प्लंबर की ट्रेनिंग, जैविक खाद, फसल, ग्रामोत्थान सेंटर के माध्यम से लोगों को स्वावलंबी बना रहा है, हमें अपनी आनी वाली पीढ़ी को कुछ ऐसा देना चाहिए जो हमें याद रखें ।“
तीसरे दिन एकल के सभी वनयात्री वाराणसी में टेंट सिटी का भ्रमण किया और वहां पर पारंपरिक परिवेश का अनुभव किया और लोकनृत्य का आनंद भी लिया| निर्वान सिटी में भारत लोक शिक्षा परिषद् का लोगो (logo) सैंड आर्ट के माध्यम से बनाया गया जो आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा |
अखिल गुप्ता (राष्ट्रीय कार्यकारी प्रधान, BLSP) – ने कहा कि- “मुझे बड़ी हैरानी हुई कि इतने कम संसाधन में भी गांव के बच्चे इतने प्रतिभवान कैसे हो सकते हैं। इस वनयात्रा के माध्यम से बाबा विश्वनाथ की नगरी में हमें वाराणसी चैप्टर द्वारा एक परिवार की तरह स्नेह मिला हम निश्चित रूप से पुनः वाराणसी की वनयात्रा करेंगे । राष्ट्र निर्माण के इस पुनीत कार्य में पूरी टीम का जो उत्साह देखने को मिला उससे हमें एक नई उर्जा भी मिली | पूर्वी दिल्ली एवं वाराणसी चैप्टर के अथक प्रयास से वनयात्रा सफल हो पाई । सभी को मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई।
इस वनयात्रा के माध्यम से सभी पदाधिकारियों तथा सदस्यों को एकल को अच्छी तरह से समझने तथा व्यक्तिगत सम्बन्ध स्थापित करने में मदद मिली | विद्यालय का सुचारू रूप से संचालन देखकर वनयात्री अति प्रसन्न हुए | साथ ही अधिक दान करने तथा दोबारा विजिट करने के लिए प्रोत्साहित हुए | ग्रामीणों का प्यार उनकी ऊर्जा देखकर देखकर ह्रदय प्रेम भाव से भर गया| वाराणसी चैप्टर की युवा टीम, कार्यकर्त्ता एवं समिति के बंधुओं ने बड़े जोश और उत्साह के साथ वनयात्रा को सफल बानने में लगे रहे|
सभी वनयात्रियों ने इस यात्रा का इतना आनंद लिया जिसको शब्दों में वयां कर पाना संभव नही है| दूर दराज क्षेत्रों में जहाँ पर आसानी से पहुंचना मुश्किल होता है, बहुत कम संसाधन उपलब्ध है वहां एकल विद्यालय संचालित हो रहे है निश्चित रूप से राष्ट्र निर्माण का इससे बड़ा कार्य और कुछ नही हो सकता है