नई दिल्ली में आरजेएस पीबीएच ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई की पूर्व संध्या पर, प्रकृति के संरक्षण की अनिवार्य आवश्यकता पर लोगों का ध्यान केंद्रित करने के लिए एक सकारात्मक मीडिया संवाद का आयोजन किया।
ये अमृत काल का सकारात्मक भारत-उदय श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की कड़ी में 244 वां अंक का दूसरा भाग था। प्रथम भाग की परिचर्चा में वरिष्ठ वैज्ञानिक एम शाह हुसैन, फिल्ड बायोलॉजिस्ट हरमीक सिंह और प्रकृति व जीवन के कवि अशोक कुमार मलिक ने हिस्सा लिया।
प्रकृति और जीवन के कवि अशोक कुमार मलिक , डॉ. रुचि सिंह जैसी शख्सियत के साथ संवाद किए ,जिन्होंने प्रयाग के पवित्र परिसर पर डॉक्टरेट शोध और बौद्ध धर्म के पोस्ट डॉक्टरेट अध्ययन किया है। कुंभ मेले पर उनकी पुस्तक प्रशंसित है।
श्री अशोक कुमार मलिक ने बताया कि श्री उदय कुमार मन्ना के नेतृत्व में आरजेएस पीबीएच-आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया क्रिएटिव मीडिया टीम की प्रमुख आकांक्षा ने हाल ही में आईजीएनसीए, नई दिल्ली में रीडर्स काॅन्क्लेव को कवर किया था, जहां डॉ. रुचि सिंह की पुस्तक द कॉल ऑफ द जंगल पर चर्चा की गई थी और उन्होंने उपस्थित दर्शकों के लिए इसका एक अंश पढ़ा था। कवि द्वारा पूछे जाने पर डॉ. रुचि सिंह ने बताया कि बाघ के प्रति उनमें उत्साह कैसे पैदा हुआ और उन्होंने अपनी पुस्तक _द कॉल ऑफ द जंगल_ के बारे में भी बताया। बातचीत कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों और जंगल में रहने के रोमांच पर केंद्रित थी। हालांकि _द कॉल ऑफ द जंगल_ काल्पनिक है, लेकिन यह भारतीय वन सेवा में काम करने वाले IFS ऑफिसर्स के अनुभवों और चुनौतियों पर आधारित है। यह महसूस किया गया कि युवाओं में प्रकृति के प्रति प्रेम पैदा करने की जरूरत है ताकि वे जिम्मेदार व्यक्ति बन सकें और प्रकृति का संरक्षण कर सकें। संवाद प्रकृति को संजोने और पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश था ।