जीएसएलवी मार्क-3 के प्रक्षेपण से डिजिटल भारत को मजबूत मिलेगी वहीं इंटरनेट सेवाओं में बढ़ोतरी होगी।
भारत ने सोमवार को अपने सबसे वजनी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए छोड़ा। जीएसएलवी मार्क-3 अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह लेकर गया है, जिसे वह कक्षा में स्थापित करेगा।
जीएसएलवी श्रृंखला के इस सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 ने सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से अपराह्न 5.28 बजे पहली बार उड़ान भरी। 43.43 मीटर लंबा और 640 टन वजनी यह रॉकेट 16 मिनट में अपनी यात्रा पूरी कर लेगा और पृथ्वी की सतह से 179 किलोमीटर की ऊंचाई पर जीसैट-19 को उसकी कक्षा में स्थापित कर देगा।
इस रॉकेट का वजन दो सौ हाथियों के बराबर है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चैथा देश बन गया है। अब भारत को 2300 किलोग्राम से अधिक वजन के संचार उपग्रहों के लिए विदेशी लॉन्चरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके प्रक्षेपण से डिजिटल भारत को मजबूत मिलेगी। वहीं इंटरनेट सेवाओं में बढ़ोतरी होगी।