स्वस्थ रहने का मतलब केवल शरीर का स्वास्थ रहना नही बल्की मानशिक रूप से स्वस्थ रहना भी जरूरी है। आप तब पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं
स्वस्थ रहने का मतलब केवल शरीर का स्वास्थ रहना नही बल्की मानशिक रूप से स्वस्थ रहना भी जरूरी है। आप तब पूर्ण रूप से स्वस्थ होते हैं। स्वास्थ्य का तात्पर्य बीमारी की अनुपस्थिति नहीं हैं। यह जीवन की गतिशीलता हैं जो बताती हैं कि आप कितने खुशी,प्रेम और ऊर्जा से भरे हुए हैं। योगा हमे बैठने का तरीका, प्राणायाम तथा ध्यान संयुक्त रूप से सिखाता हैं। नियमित रूप से अभ्यास करने वाले को असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं।
शिथिलीकरण अभ्यास– ग्रीवा संचालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन- ये वो आसन हैं जिनके जरिए शरीर को योग आसन करने के लिए ऊर्जा प्रदान की जाती है।
ताड़ासन– ये खड़े होकर किया जाना वाला योग आसन है। इसे पाम ट्री के नाम से भी जाना जाता है। ताड़ासन लंबाई बढ़ाने के लिए, वजन कम करने के लिए और पीठ के दर्द में बहुत फायदेमंद होता है।
वृक्षासन- इस आसन को भी खड़े होकर ही किया जाता है। इस आसन की अंतिम मुद्रा वृक्ष की तरह लगती है, घुटने के दर्द, एड़ियों के दर्द, पैरों मजबूती आदि के लिए यह आसन बेहद लाभप्रद होता है।
पादहस्तासन- यह भी पहले दो आसनों की तरह खड़े होकर ही किया जाता है। अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, पैरों की मजबूती के लिए पादहस्तासन किया जाता है।
अर्धचक्रासन- यह भी खड़े होकर किया जाने वाले आसन है। पेट की चर्बी कम करने, डायबटीज को कंट्रोल करने और गर्दन के दर्द में इस आसन से लाभ होता है।
त्रिकोणासन- यह भी खड़े होकर किया जाने वाला आसन है। इससे चिंता, तनाव, पीठ दर्द, कमर दर्द, एसिडिटी आदि में लाभ होता है।
भद्रासन- भद्रासन बैठ कर किया जाने वाला आसन है। पीठ दर्द, शरीर दर्द, पैरों को मजबूत बनाने के लिए और मन की एकाग्रता आदि में इस आसन का प्रयोग किया जाता है।
वीरासनध्वज्रासन- वज्रासन भी बैठ कर किया जाने वाला आसन है। अकेला ऐसा आसन है जो खाने के तुरंत बाद यह आसन बहुत अधिक प्रभावी होता है। यह न सिर्फ पाचन की प्रक्रिया ठीक रखता है बल्कि लोवर बैकपेन से भी आराम दिलाता है।
उष्ट्रासन- उष्ट्रासन आसन भी बैठकर ही किया जाता है। पीछे की तरफ मुड़ने वाले इस आसन से हमारे स्नायु तंत्र और मेरुदंड पर असर पड़ता है और आपको तनाव भरी परिस्थितियों में स्वयं पर नियंत्रण करने में आसानी होती है।
शशकासन- शशकासन भी बैठ कर ही किया जाता है। शशक का का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं। हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है। यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है।
उत्तानमंडूकासन- यह भी आसन भी बैठकर किया जाता है। दरअसल ‘उत्तान’ का अर्थ तना हुआ और ‘मंडूक’ का अर्थ मेढक होता है। इस आसान में व्यक्ति का शरीर सीधे तने हुए मेढक के समान लगता है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। पीठ दर्द में, गले दर्द में, घुटने के दर्द में इस आसन से लाभ मिलता है।
वक्रासन- बैठकर किए जाने वाले आसनों में वक्रासन एक महत्वपूर्ण आसन है। वक्रासन ‘वक्र’ शब्द से निकला है जिसका मतलब होता टेढ़ा। इस आसन में रीढ़ टेढ़ी या मुड़ी हुई होती है, इसीलिए इसका यह नाम वक्रासन रखा गया है। डायबटीज और डिप्रेशन में इससे बहुत लाभ होता है।
मकरासन- यह आसन जमीन पर लोट कर होता है। मकर का अर्थ होता मगरमच्छ है। इस आसन को करते समय शरीर की आकृति मगरमच्छ की तरह होती है इसलिए इसे मकरासन का नाम दिया गया है। उच्च रक्तचाप, अस्थमा, स्लिप डिस्क, गर्दन में दर्द और कमर में दर्द में इस आसन से लाभ होता है।
भुजंगासन- भुजंगासन करते समय शरीर आकृति सांप की तरह होती है इसलिए इसे भुजंग आसन का कहा जाता है। ये रीड़ की हड्डी को लचीला बनाता है, कब्ज की शिकायत दूर होती है और पेट की चर्बी को कम करने में लाभप्रद है।
शलभासन- इस आसन को करते समय शरीर शलभ यानी टिड्डे के आकार का हो जाता है। इसिलए शलभासन कहा जाता है। कमर और पैरों को मजबूत करने, गर्द और कंधों को मजबूत करने और पाचन क्रिया में सुधार के लिए इस आसान का प्रयोग किया जाता है।
सेतुबंधासन- सेतुबंध आशन में शरीर की मुद्रा पुल की तरह हो जाती है। इसे अंग्रेजी में ब्रिज पोज भी कहा जाता है। कमरदर्द और थायरॉयड से प्रभावित लोगों के लिए यह आसन बेहद लाभप्रद है।
उत्तानपादासन- यह आसन भी लेट कर किया जाता है। उत्तान का अर्थ है ऊपर उठा हुआ और पाद का अर्थ है पांव। यह आसन पेट दर्द, घबराहट दूर करने में, कमर मजबूत करने में लाभदायक है।
अर्धहलासन- अर्धहलासन भी जमीन पर लेट कर ही किया जाता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी और भीतर की मसल्स ताकतवर बनती हैं। पैरों का सो जाना और उनका झनझनाना कम हो जाता है।
पवनमुक्तासन- पवनमुक्तासन का अर्थ होता है पवन या हवा को मुक्त करना। जब हम इस आसन को करते हैं तब हमारे पेट से गैस और कब्ज के कारण जो वायु जमा होती है वो आसनी से बाहर निकल जाती है। इस आसन से पाचन क्रिया में बेहद लाभ होता है।
शवासनर- इस आसन को शरीर को आराम देने के लिए किया जाता है। यह भी जमीन पर लेट कर किया जाने वाला आसन है। इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में और मानसिक और शारीरिक तनाव दूर करने में मदद मिलती है।
कपालभाति- ‘कपाल’ का अर्थ है खोपड़ी (सिर) तथा भाति का अर्थ है चमकना। इस क्रिया को लगातार करने से सिर चमकदार बनता है इसलिए इसे कपालभाति कहते हैं। यह बैठकर किया जाने वाला प्राणायाम है। कपालभाति को नियमित रूप से करने पर वजन घटता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम- यह बैठकर किया जाने वाला प्राणायम है, इससे सांस से जुड़ी बीमारियों में लाभ मिलता है। डायबटीज के मरीजों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है।
भ्रामरी प्राणायाम- भ्रामरी प्राणायाम करते समय भंवरे जैसी आवाज आती है इसलिए भ्रामरी प्राणायाम कहते हैं। यह प्राणायाम किसी भी समय किया जा सकता है। अॉफिस में कुर्सी पर बैठकर भी। इससे क्रोध, चिंता, भय, तनाव को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
शीतली प्राणायाम- इस आसन को करने से शरीर में ठंडक यानि कि शीतलता आने लगती है, इसी वजह से इसे शीतली प्राणायाम कहा जाता है। कमर, पीठ, रीढ और गर्दन में इससे लाभ मिलता है।
ध्यान योग- इससे हाई ब्लड प्रेशर और मन को शांत करने में मदद मिलती है।