संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ बटन दबाकर जीएसटी को लॉन्च किया
17 अप्रत्यक्ष करों और 23 सेस से आजादी देने वाला गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानी जीएसटी आज लॉन्च हो गया। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ बटन दबाकर जीएसटी को लॉन्च किया। सेंट्रल हॉल में इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने के लिए कई वीवीआईपी मेहमान मौजूद रहे।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”जो लोग आशंकाएं करते हैं मैं उनसे कहूंगा ऐसा ना करें। जब आप अपने डॉक्टर से नंबर लेकर नया चश्मा बनवाते हैं तब भी कुछ दिन आंखों को दिक्कत होती है। जीएसटी से होने वाली परेशानी भी ऐसी ही होगी।”
वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ”मुझे भरोसा था कि जीएसटी आखिरकार लागू होगा। यह ऐतिहासिक क्षण 14 वर्ष की उस लंबी यात्रा की समाप्ति है जो दिसंबर 2002 में शुरू हुई थी”
पीएम मोदी ने GST को लेकर संसद में विशेष सत्र को संबोधित किया। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- राष्ट्र के निर्माण में कुछ ऐसे पल आते हैं। कुछ देर बाद देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा। सवा सौ करोड़ देशवासी, इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी हैं। जीएसटी की प्रक्रिया सिर्फ अर्थव्यवस्था के दायरे तक है ऐसे मैं नहीं मानता।
पिछले कई सालों से अलग-अलग टीमों के द्वारा जो प्रक्रियाएं चली हैं, वो एक प्रकार से भारत के लोकतंत्र की भारत के संघीय ढांचे की, को-अॉपरेटिव फेडरेलिज्म के मिसाल के तौर पर आया है। इस पवित्र अवसर पर आप सब अपना बहुमूल्य समय निकाल के आए हैं। दिल से आपका स्वागत है। आपका आभार व्यक्त करता हूं।
ये जो दिशा और रास्त हमने चुना है। यह किसी एक दल की सिद्धि नहीं है। यह किसी एक सरकार की सिद्धी नहीं है। ये हम सब की सांझी विरासत है। हम सबके साझे प्रयासों का परिणाम है। रात्रि के 12 बजे इस सेंट्रल हॉल में एकत्र हुए हैं। ये वो जगह है जो इस राष्ट्र के अनेक महापुरुषों के पदचिन्हों से इस जगह ने पावन किया है।
9 दिसंबर 1946 से इस जगह को हम याद करते हैं। संविधान सभा की पहली बैठक से यह हॉल साक्षी है। जब संविधान सभा की पहली बैठक हुई, पंडित जवाहर लाल नेहरु, डॉक्टर पटेल, उस सदन में जहां, कभी 14 अगसल्त 1947 रात 12 बजे देश की स्वतंत्रता पवित्र और महान घटना का साक्ष्य है।
जीएसटी भी लंबी विचार प्रक्रिया का परिणाम है, सभी राज्य समान रूप से केंद्र सरकार उसी की बराबरी में और सालों तक चर्चा की है। संसद में इसके पूर्व और उसके पूर्व के सांसदों ने लगातार इस पर बहस की है। जब संविधान बना, तब पूरे देश के नागरिकों को समान व्यवस्था खड़ी कर दी थी। जीएसटी ने सभी राज्यों के मोतियों को एक धागे में पिरोने का प्रयास है। जीएसटी को-अॉपरेटिव फेडरिलज्म का प्रयास है।
जीएसटी टीम इंडिया का क्या परिणाम हो सकता है, यह उसके सामर्थ का परिचायक है। जीएसटी काउंसिल केंद्र और राज्य ने मिलकर, जिसने गरीबों के लिए पहले उपलब्ध सेवाओं को बरकरार रखा है। दल कोई भी हो, सरकार कोई भी गरीबों के प्रति संवेदनशीलता सबने रखी है।
इसमें जिन जिन लोगों ने इस प्रकिया को आगे बढ़ाया। उसके बधाई। आज जीएसटी काउंसिल की 18 वीं मीटिंग हुई। ये संयोग है कि गीता के 18 अध्याय है, और जीएसटी के भी 18 मीटिंग है। आज हम उस सफलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
गंगानगर से लेकर ईटानगर, लेह से लेकर लक्ष्यद्वीप तक वन नेशन, वन टैक्स। ये सपना हमारा सराकर होके रहेगा। 500 टैक्स से मुक्ति। एल्बर्ट आइस्टिन ने कहा था- दुनिया में कोई चीज समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है वो है इनकम टैक्स। मैं सोच रहा होता तो वो इतना टैक्स देखकर क्या कहते?