अगर अध्यापको में निष्ठां और जोश हो तो वो कुछ भी कर सकते है। बेसिक स्कूल का नज़ारा देख आस पास के प्राइवेट स्कूल भी पानी भरते है। यहाँ के बच्चे की शिक्षा प्राइवेट स्कूल के बच्चो से कही बेहतर है।
71 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे है लेकिन आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली काफी लाचार है। सरकारी स्कूल की हालत बहुत गंभीर है, शिक्षको की कमी,स्कूल की ईमारत की कमी और सबसे ज्यादा अध्यापको में पढाने के उत्साह नहीं देखाई पड़ता। इन्ही कारणों से निजी स्कूल चलाकर पैसे कमाने वाले लोगो का धंधा फल-फूल रहा है। और इन्ही कारण गरीब काफी पनप नहीं पाता। लेकिन सतत प्रयास,मेहनत और सामुदायिक सहयोग अगर साथ हो तो असंभव कार्य को संभव कार्य मे बदलते देर नही लगती।
चंदौसी के एक गांव में एक ऐसा स्कूल है जो किसी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है। 71 वे स्वतंत्रता दिवस पर उच्च प्राथमिक विद्यालय पैग़ाभीकमपुर में आप बदलते बेसिक स्कूल का नज़ारा देख सकते है। अगर अध्यापको में निष्ठां और जोश हो तो वो कुछ भी कर सकते है और गरीब परिवार के बच्चो को बड़ा बना सकते है।
आज हम आपको ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में बता रहे है जो न सिर्फ एक शिक्षक है बल्कि एक समाजसेविका। इनका नाम है अर्चना वार्ष्णेय। यह इस स्कूल और बच्चों का ध्यान ऐसे रखती जैसे यह कोई प्राइवेट स्कूल हो अर्चना यहाँ समय समय बच्चो से नई नई एक्टिविटीज कराती है जो अक्सर सरकारी स्कूल में नहीं देखी जाती।
उच्च प्राथमिक विद्यालय पैग़ाभीकमपुर में बेसिक स्कूल का नज़ारा देख आस पास के प्राइवेट स्कूल भी पानी भरते है। यहाँ के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चो से कही बेहतर है। 71 वे स्वतंत्रता दिवस पर भी यहाँ अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके अर्चना वार्ष्णेय ने कहा कि हमारा विद्यालय एक परिवार के जैसा है और बच्चों से कहा कि,ऐसे ही मेहनत करते रहना,मंज़िल हमारे कदम चूमेगी। कार्यक्रम के मौके पर यहाँ अर्चना वार्ष्णेय, श्री नरेशपाल शर्मा,फरहनाज़, सुमित कुमार प्रवीण कुमार वैभव गुप्तां प्रेमवती, रेनू इंद्रपाल एवं ,नेशपाल,आदि उपस्थित रहे।