नई दिल्ली: सेना ने रक्षा बजट को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति से सेना के वायस चीफ लेफ़्टिनेंट जनरल शरथचंद ने कहा है कि हालिया रक्षा बजट से सैन्य आधुनिकीकरण की उम्मीदों को झटका लगा है. वायस चीफ के मुताबिक, मेक इन इण्डिया के लिए 25 सैन्य परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन उनको अमलीजामा पहनाने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. नतीजतन कुछ परियोजनाएं बंद हो सकती हैं.
समिति के मुताबिक भारतीय सेना के पास महज 8% हथियार ही स्टेट ऑफ आर्ट या बेहतरीन श्रेणी के हैं. वहीं कुल मिलाकर सेना के पास 24% हथियार आधुनिक हैं. यही 24% साजोसामान मौजूदा समय में इस्तेमाल के लायक है. लेकिन यह आंकड़ा नाकाफी है. क्योंकि मौजूदा समय में किसी भी सेना के लिए आदर्श स्थिति यह है कि उसके पास औसतन एक तिहाई साजोसामान विंटेज श्रेणी, एक तिहाई मौजूदा जरूरत के मुताबिक, एक तिहाई साजोसामान आधुनिक और एक तिहाई स्टेट ऑफ आर्ट श्रेणी का साजोसामान हो.
रिपोर्ट में ‘टू-फ्रंट वॉर’ को हकीकत मानते हुए कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान अपनी सेनाओं के आधुनिकिकरण में जुटें हुए हैं और हमें भी इस तरफ ध्यान रखना होगा. रिपोर्ट में चीन अब सैन्य स्पर्धा में अमेरिका बनना चाहता है. जबकि हमारे हथियार, मशीनरी, गोला-बारूद और वॉर-स्टोर बेहद पुराने और जंग खा चुके हैं और कमी भी है. रिपोर्ट में वायुसेना को भी टू-फ्रंट वॉर से निपटने के लिए जरूरी साजों-सामान मुहैया करने की सिफारिश की गई है.