नई दिल्ली: राजस्थान के पोखरन परीक्षण रेंज से गुरुवार सुबह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है, बता दें, इससे पहले भी ब्रह्मोस का सफल परीक्षण हो चुका है. पिछले साल 22 नवंबर को ब्रह्मोस को फाइटर जेट सुखोई से दागा गया था, जो कि सफल रहा था.सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी को डेडली कांबिनेशन भी कहा जाता है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो 290 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकता है. सूखाई-30 फुल टैंक ईंधन के साथ 2500 किलोमीटर तक मार कर सकता है.
भारत-रूस द्वारा मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज को अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि वर्ष 2016 में भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का पूर्ण सदस्य बन जाने के चलते उस पर लागू होने वाली कुछ तकनीकी पाबंदियां हट गई है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों को 40 सुखोई युद्धक विमानों में जोड़ने का काम जारी है, और माना जा रहा है कि क्षेत्र में नए उभरते सुरक्षा परिदृश्य में इस कदम से भारतीय वायुसेना की ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल वर्ष 2006 से ही भारतीय नौसेना तथा थलसेना का हिस्सा बनी हुई हैं, लेकिन यह संस्करण ज़्यादा कारगर है, क्योंकि धीमी गति से चलने वाले युद्धक पोतों के स्थान पर इसे तेज़ गति से उड़ने वाले सुखोई से दागा जा सकता है, जो लक्ष्य की ओर 1,500 किलोमीटर तक उड़ने के बाद मिसाइल दाग सकता है, और फिर लक्ष्य तक बकाया 400 किलोमीटर मिसाइल खुद तय करती है.
सुखोई, यानी Su-30 और ब्रह्मोस मिसाइलों का यह गठजोड़ हो जाने का अर्थ है कि अब भारतीय वायुसेना किसी भी लक्ष्य को मिनटों में ध्वस्त कर सकती है, जबकि युद्धक पोत से दागे जाने के लिए पहले पोत को लक्ष्य की दिशा में समुद्र में काफी आगे बढ़ना होता था, जिसमें काफी समय लगता है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है, और इसका नाम दो नदियों ब्रह्मपुत्र तथा मोस्क्वा को जोड़कर बनाया गया है. इस परियोजना को 2020 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
सुपरसोनिक मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का पोखरण में किया गया सफल परीक्षण
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