नई दिल्ली: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिद्धारमैया सरकार की ओर से लिंगायत समाज को अलग धर्म की मान्यता देने के फैसले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने नाराजगी जाहिर की है. नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम मोहन भागवत ने कहा कि वे एक ही धर्म के लोगों को बांटा जा रहा है. हिंदुओं को संप्रदाय में बांटा जा रहा है, जो किसी भी देश और समाज के लिए घातक है.
मोहन भागवत ने कहा, ‘भेद के आधार पर दूसरो को चूस कर खाना राक्षसी प्रवृत्ति है, राक्षसी धर्म है. उनलोगों को भगवान ने ऐसा ही बनाया है और वह ऐसा ही करेंगे, जिनको मानव धर्म निभाना है. और हमें बांटने वाले तो तैयार बैठे हैं, क्योंकि उनको अपना असुरीय धर्म निभाना है.’ RSS प्रमुख ने कहा, ‘उनका काम है कि कितने भी ऐसे प्रयास हों वह आपस में ना बंटे.’ शिव की पूजा करने वाले लिंगायत और वीरशैव लिंगायत दक्षिण भारत में सबसे बड़ा समुदाय हैं, ये समुदाय राज्य में संख्या बल के हिसाब से मजबूत और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है. राज्य में लिंगायत/ वीरशैव समुदाय की कुल आबादी में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने का अनुमान है, इन्हें कांग्रेस शासित कर्नाटक में भाजपा का पारंपरिक वोट माना जाता है.