अमेरिका ने चीन से अनुरोध किया कि वह तिब्बत के लोगों के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करें. अमेरिका सीनेट में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया है.
प्रस्ताव में चीन सरकार के हस्तक्षेप के बिना 15वें दलाई लामा के भविष्य समेत तिब्बती बौद्धों के अधिकारों का जिक्र किया गया है. सीनेटर पैट्रिक लेही डायने फीन्सटीन, टेड क्रूज और मार्को रुबियो ने यह प्रस्ताव पेश किया. सीनेटर लेही ने कहा, ‘हम तिब्बत के लोगों के साथ खड़े हैं जो लंबे समय से हमारे अच्छे दोस्त रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम तिब्बत के बौद्धों के अधिकारों के साथ खड़े हैं न केवल तिब्बत में बल्कि दुनिया भर में. हमें उनके इस अधिकार को स्वीकार करना चाहिए कि वे धार्मिक नेतृत्व को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में किसी तरह के बदलाव के बिना चुन सकें.’
अमेरिकी सीनेट ने सर्वसम्मति से तिब्बत की आत्मनिर्भरता और उनकी विशिष्ट पहचान की रक्षा समेत तिब्बत के लोगों के मौलिक मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के लिए समर्थन किया, जिनमें उनके आत्मनिर्धारण के अधिकार और अपनी विशिष्ट पहचान को बचाए रखने का अधिकार शामिल है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि तिब्बती बौद्ध गुरु के चयन का अधिकार तिब्बती बौद्ध समुदाय को होना चाहिए. सीनेट ने तिब्बत के 1959 की जनक्रांति की 59वीं वर्षगांठ को ‘तिब्बती अधिकार दिवस के रूप में मनाया और अमेरिकी विदेश मंत्री से यह आग्रह किया कि तिब्बत नीति अधिनियम 2002 के सभी प्रावधानों को पूरी तरह से लागू किया जाए.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने बताया कि अमेरिका चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बतियों की धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को समाप्त करने को लेकर चिंतित है. हीथर ने कहा कि हम इस समय लैरंग गार और याचेन गार मठों को नुकसान पहुंचाए जाने को लेकर भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा, ‘हम न्यिमा की तत्काल रिहाई और सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को बनाये रखने का आह्वान करते हैं’.