वाशिंगटन: अमेरिकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 12 जून को सिंगापुर में किम जोंग उन से मिलेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर चर्चा के लिए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे.
दोनों नेताओं की इस बहुप्रतीक्षित मीटिंग को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे. मीटिंग होगी, ये तो तय हो चुका था, लेकिन कब और कहां होगी इसे लेकर संशय बना हुआ था. आखिरकार ये सस्पेंस भी खत्म हो गया. लेकिन दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति और सबसे चर्चित तानाशाह के रूप में पहचाने जाने वाले किम जोंग उन की बैठक के लिए सिंगापुर को ही क्यों चुना गया, इसके पीछे भी कई कारण हैं.
सिंगापुर अतीत में भी हाई प्रोफाइल राजनयिक मुलाकातों का गवाह रहा है. वहीं, अमेरीका और सिंगापुर के बीच गहरे संबंध है. जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासनकाल में अमेरिका और सिंगापुर के बीच मुक्त व्यापार समझौता हुआ था. इसके बाद 2012 में ओबामा प्रशासन ने सिंगापुर को स्ट्रैटेजिक पार्टनर के रूप में भी स्वीकार किया. इसके तीन साल बाद दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौते भी हुए, जो दोनों मुल्कों के मजबूत रिश्तों को दर्शाता है.
वहीं, सिंगापुर का उत्तर कोरिया के साथ भी राजनयिक संबंध रहा है. दोनों देशों के बीच 1975 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई थी. सिंगापुर में नॉर्थ कोरिया की एंबेसी भी है. हालांकि, नवंबर 2017 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को और कड़ा किए जाने के बाद सिंगापुर ने उत्तर कोरिया से सभी व्यापारिक संबंध तोड़ लिए थे, लेकिन मौजूदा वक्त में भी दोनों देशों के बीच हालात सामान्य हैं.
सिंगापुर जहां ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात के लिए सबसे बेहतर एशियाई मुल्क बताया जा रहा है, वहीं इसका अतीत भी एक बैठक की बड़ी वजह बना है. इस दक्षिण-पूर्व एशियाई शहर में 2015 में चीन और ताइवान के नेताओं के बीच ऐतिहासिक वार्ता हुई थी, जो दोनों देशों के बीच 60 सालों में पहली बार हुई थी. ऐसी ही मुलाकात अब अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच होने जा रही है. बता दें कि अमेरिका के किसी राष्ट्रपति की नॉर्थ कोरिया के शासक से ये पहली मुलाकात है, जिस पर पूरी दुनिया की नजर है.