प्राचीन काल के राजा आम लोगो को दिव्य ज्ञान नहीं देते थे,क्योकी आम लोगो को इसके काबिल नहीं समझा जाता था.प्राचीन काल में दिव्य शिक्षा का अधिकार सिर्फ राजकुमारों के पास हि था.एकलव्य ने इस दिव्य शिक्षा को पाने कि कोशिश कि तो उसका अंगूठा काट लिया गया.ऐसी बात नहीं कि प्राचीन काल में उच्च शिक्षा नहीं था,अगर आप ऐसा सोचते है तो आप गलत है.उस जमाने में आज से ज्यादा जटील शिक्षा पद्धति थी.दुनिया में आज जो शिक्षा पद्धति है उसका मूल मानो या ना मानो भारत हि है.और इसी शिक्षा पद्धति में एक योग है,योग का मतलब उछलना-कुदना नहीं होता और ना कोई शारीरिक प्रशिक्षण है.योग आम मानव को ब्रहमाण्ड से जोड़ने का काम करता है और आज भि भारत पुरे विश्व में योग शिक्षा का प्रकाश फैला रहा है.
योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से कि थी जिसमें उन्होने कहा था-
“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”
जिसके बाद 21 जून को अंतऱाष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया.और आज भारत चौथे साल भि पुरे उत्साह से योग कर योग दिवस को सफल बना रहा है. आज देहरादून में एफआरआई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 60 हजार लोगो के साथ योग किया.डेलि डायरी न्यूज (DAILY DIARY NEWS) भि अपने दर्शको को योग दिवस के मौके पर उनके स्वस्थ जीवन की कामना करता है और सभी देशवाशियों को योग करने के लिए प्रेरित करता है,ताकि स्वस्थ रहेंगे आप तो स्वस्थ रहेगा भारत.और योग सिर्फ योग दिवस के दिन हि नहीं रोज योग करे.इसी के साथ सभी देशवासियो को अंतराष्ट्रीय योग दिवस कि शुभकामनाए.