विधवा की शून्यता किसी भी भावनात्मक रिश्ते से नहीं भरी जा सकती। असहनीय वेदना झेलती विधवा की ¨जिंदगी कदम-कदम पर इम्तिहान लेती है। उन्ही के दर्द को बांटने के लिए लुंबा फाउंडेशन ने दिल्ली के विज्ञान भवन में विधवा दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और द लुंबा फाउंडेशन की अध्यक्ष चैरी ब्लेयर ने भी शिरकत की। इस दौरान कई विधवा महिलाओं का सम्मान किया गया। लार्ड लुंबा ने विधवा मां की परेशानियों को देखते हुए उनकी स्मृति में इस फाउंडेशन की स्थापना 1997 में की थी। जिसके बाद से यह संस्था देश-विदेश में कार्य कर रही है। कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश एक नई दिशा की और बढ़ रहा है। वहीं नायडू ने द लुंबा फाउंडेशन की तारीफ करते हुए कहा कि द लुंबा फाउंडेशन विधवा महिलाओं की सहायता के लिए जो कदम उठा रहा है वो बेहद कारगर हैं।
भारत में पहली बार लूंबा फाउंडेशन व्दारा मनाया गया,अंतरर्राष्ट्रीय विधवा दिवस, जिसमें देश के करीब 500 से अधिक विधवा महिलाओँ को शामिल किया गया ।
दिल्ली के विज्ञान भवन में लुमंबा फाउंडेशन व्दारा भारत में पहली बार अंतरर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का आयोजन किया गया ।जिसमे भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ,कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ,लुंमबा फाउंडेशन प्रेसिडेंट शेरी बल्येर, लुमंबा फाउंडेशन के संस्थापक लार्ड राज लुमंबा सहित कई गणमान्य लोगो ने इस दिवस पर भाग लिया ।
इस अवसर पर लुंबा फाउंडेशन के सस्थांपक श्री लार्ड राज लुंबा ने कहा कि भारत में तुरंत विधवा महिला आयोग बनना चाहिए साथ ही उन्हे हर प्रकार की मदद देनी चाहिए ताकि वो अपना औऱ अपने बच्चो का भविष्य उज्जवल कर सकें। इस मदद से कई विधवाओं महिलाओ को जिना का एक नया तरीका मिलेगा ।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर आये भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू कहा की “अगर पुरूष पुर्नविवाह कर सकते हैं,तो महिलाएं पुर्नविवाह क्यों नही कर सकती” । क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है वह प्रर्याप्त नही है और बिना समाज को साथ लिये समाज का विकास संभव नही हैं । विधवाओं के प्रति मानसिकता बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि, लोगों की मानसिकता एक समस्या है,हमे इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। विधवापन सभी के लिए दुखी करने वाला शब्द होता है ,मगर इसमें महिलायों को अधिक पीड़ा और समाज के तानो का भी शिकार होना पड़ता है
वही यह फांउडेशन दुनियाभर में विधवायों पर हो रहे अत्याचार पर रोकथाम का काम कर रही है। इसकी शुरूआत 1997 में लार्ड राज लूमबा सीबीई ने की थी । भारत में 4.60करोड़ विधवांए है, जो किसी भी अन्य देश से अधिक है