उपरोक्त शीर्षक में बहार शब्द भारतीय राजनेताओं के लिए बिल्कुल फिट बैठता है और बीमारी सिर्फ देश के किसानों, मजदूरो तथा उन आम इन्सानों के लिए बचा है जो रोज दो जुन रोटी के लिए अपनी जान गवॉ रहे है. क्षारखंड के गिरडिह जिले कि 58 वर्षीय सावित्री देवी और उतरप्रदेश के बरेली से 42 वर्षीय नेमचन्द्र कि जान भूख ने ले ली. ये सोच कर हि रुह सिहर उठता है, हो भी क्यों ना ,क्योंकी इनके हिस्से का अन्न तो नीरव नोदी और विजय माल्या जैसे लोगों ने डकार लिया; जो बिना राजनीतिक समर्थन के मुश्किल सा लगता है, जिसे पुरा देश जानता और समक्षता है या समक्षना नहीं चाहता क्योंकी आजतक हो-हल्ला के अलावा कुछ हुआ नहीं.
आजादी के इतने सालों बाद भि लगभग रोज 7000 लोग भूख से मर रहे है. प्रधानमंत्री कहते नहीं थकते देश में विकास कि बाढ़ है पर ऐसे विकास का क्या फायदा जिससे रोज हजारो लोग भूखे सोने पर मजबूर हो. हॉं नेताओं का बैंक बैलेंस जरुर मजबूत हो रहा है. 2016-2017 में देश के सात राष्ट्रीय राजनितिक दलों ने कुल 1559.17 करोड़ रुपय की आय घोषित की. बीजेपी को 464 करोड़ तथा कांग्रेस को 126 करोड़ का चंदा मिला पर कहॉ से मिला ये लेने और देने वाले के अलावा कोई नहीं जानता, फिर भि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारदर्शिता कि बात करते है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में 104 सैटेलाइट छोड़कर दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया। पर आज भारत सरकार किसानों से हारती हुई दिख रही है। अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से दोगुनी आय पर पुछते नजर आए, किसानों ने भि दम भरते हुए हामि भर दी “पर ऑकड़ो के अनुसार साल दर साल किसानों कि आत्महत्या दोगुनी होते जा रही हैं। भारत में हर साल 12000 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे है.
किसानों को फसल का डेढ़ गुणा यानी न्यूतम सर्मथन मूल्य (MSP) भि मिलना मुश्किल है। किसान को मिलने वाले फसल का डेढ़ गुणा दाम किसी फाइल में धुल-मिट्टि जमा कर रहा हो जिससे किसानों के आत्महत्या के बाद सरकार अपने पापो को उस मिट्टि के सहारे छुपा सके. शायद सरकार ने इसी को स्वामीनाथन सिफारिश मान लिया है।
बेरोजगारी तो जैसे देश की जरुरत बन गई हो, भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के समय एक करोड़(10000000) रोजगार देने का वादा किया था पर कितने रोजगार दिये आज चार साल गुजरने के बाद भि सरकार के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है क्योंकी कोई रोजगार मिला ही नहीं। और महिला असुरक्षा में भारत देश को पुरे विश्व में 26 जून 2018 को हुए सर्वे में पहला तमगा हासिल हुआ है और भारत सरकार के आंकड़े के मुताबिक 2007 से 2016 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 83% की वृद्धि हुई है और हर घंटे चार महिलाओं के साथ रेप होता है जो घटने कि बजाए बढ़ते हि जा रहा है. जिससे सरकार के महिलाओं के प्रति सुरक्षा रुचि को दर्शाता है, “क्योंकी सेवक ही राजा बन बैठे है और जनता गुलाम” एक कवि ने कहा है: ‘किसको क्या मिले इसका कोई हिसाब नहीं- तेरे पास रुह नहीं मेरे पास लिबास नहीं । लेखक के अपने विचार