नई दिल्ली : पिछले कुछ समय में देश भर में गोरक्षकों की ओर से की गई हिंसा को सुप्रीम कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो गोरक्षकों द्वारा हिंसा को रोकने के लिए वो विस्तृत आदेश जारी करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की इस तरह की घटना देश के किसी भी हिस्से में, किसी भी तरह से नही होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि, गौरक्षा के नाम पर हिंसा की वारदातें नहीं होनी चाहिए. चाहे कानून हो या नहीं, कोई भी समूह कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता. उन्होंने कहा कि ये राज्यों का दायित्व है कि वो इस तरह की वारदातें ना होने दे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षकों द्वारा हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट विस्तृत आदेश जारी करेगा. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटना किसी भी तरह से नहीं होनी चाहिए. मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवज़े के लिए इंदिरा जयसिंह ने कहा कि धर्म, जाति और लिंग को ध्यान मे रखा जाए. चीफ जस्टिस ने कहा ये उचित नहीं है. पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है और उसे अलग-अलग खांचे में नहीं बांटा जा सकता. इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अब तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है. वो गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ मे लेकर लोगों को मार रहे हैं. महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं.
याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने और घटना होने के बाद अपनाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे. ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं. सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, एफआईआर, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं.