श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा कार्यालय नई दिल्ली पर समस्त जैन समाज भारत की एक विशेष बैठक 11 सितम्बर 2018 के ‘गिरनार बचाओ आन्दोलन’ जंतर मंतर नई दिल्ली को लेकर हुई। जिसकी अध्यक्षता श्री निर्मल कुमार जैन सेठी ने की।
गत 19 जुलाई, 2018 को भगवान नेमीनाथ के मोक्षकल्याणक दिवस पर जैन यात्रियों को हमारे पवित्र पहाड़ गिरनार जी, जहां से हमारे 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ जी ने तपस्या कर मोक्ष प्राप्त किया है, पर वहां के महन्तों और पुलिस द्वारा सदियों की प्रथा एवं हाईकोर्ट के आदेश को दर किनार कर निर्वाण लाडू तथा अर्घ्य नहीं चढ़ाने दिया और पूजा नहीं करने दी।
गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक, जो नेमीनाथ टोंक या काठियावाड़ महन्तों द्वारा दत्तात्रेय टोंक कही जाती है, पर बीसवीं शती के उतरार्ध में भारी संख्या में दर्शनार्थी एवं उनके द्वारा अर्पित चढ़ावे के लोभ में काठियावाड़ के महन्तों ने, दिगम्बर जैन चन्द्रगुप्त मौर्य से पूर्व प्रबन्धन एवं पूजा अर्चना के केन्द्र भगवान नेमीनाथ के गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक पर स्थित उनके प्रथम अनुयायी राजा दत्तारी द्वारा स्थापित चरण चिह्न एवं उकेरी हुई उनकी चित्रकृति पर, जबरन कब्जा करने की कोशिशें प्रारम्भ कर दी थीं।
इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में उन्होंने पांचवी टोंक पर पड़ाव डालने की कोशिशें शुरू कर दीं, जो गुजरात एन्सीयेंट मोन्यूमेंट्स एण्ड ऑर्किलॉजिकल साईट्स एण्ड रिमेन्स एक्ट, 1978 के अन्तर्गत गुजरात सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक (Protected Monument) अधिसूचित है, और वहां कोई पड़ाव या नवनिर्माण या बदलाव कानून का खुला उल्लंघन है। सन् 2004 में उनके द्वारा वहां अनधिकृत नवनिर्माण की खबर आने पर दिगम्बर जैन समाज द्वारा पांचवी टोंक पर सम्भावित अतिक्रमण रोकने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में रिट् पिटीशन नम्बर 6428/2004 दायर की, जिसपर गुजरात हाईकोर्ट ने 8 जून, 2004 को ‘स्टेटस को’ (यथा स्थिति बनाये रखने) का आदेश दिया।
भगवान नेमीनाथ की टोंक पर बिजली से क्षतिग्रस्त छत्री की मरम्मत, उपरोक्त गुजरात एक्ट को दरकिनार रख, की गुजरात पुरातत्व विभाग द्वारा मिली भगत से पिछली तारीख में अतिक्रमणकारी महन्तों को अनुमति दी। संरक्षित स्मारक में गुजरात एक्ट के प्रावधानों के अन्तर्गत कोई भी निजी पुनर्निर्माण या मरम्मत या बदलाव की आज्ञा नहीं है, केवल अधिकृत गुजरात पुरातत्व विभाग का ऑर्किलॉजिकल अधिकारी ही कर सकता है। हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के उल्लंघन में महन्तों ने छत्री का पुनर्निर्माण तो किया ही, वहां पर लगभग 4 फुट की गुरु दत्तात्रेय की मूर्ति, जो वहां कभी थी ही नहीं, स्थापित कर दी और पांचवी टोंक पर नये निर्माण एवं बदलाव भी किये। गुजरात हाईकोर्ट ने गिरनार महन्तों को 28 दिसम्बर, 2004 तक का समय रखी गई गुरु दत्तात्रेय की मूर्ति और किये गये बदलाव को हटाने का समय दिया लेकिन गुजरात पुरातत्व विभाग की मिली भगत के कारण आज तक उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यहां उल्लेखनीय है कि गुजरात पुरातत्व विभाग ने महन्तों के खिलाफ पांचवी टोंक पर निर्माण कार्य़ों व बदलाव के अपराध में एफ.आई.आर. कराई थी, जिसपर प्रशासन की मिली भगत से आज तक कोई पुलिस कार्यवाही नहीं हुई।
तत्पश्चात् गुजरात हाई कोर्ट के स्पेशल सिविल अप्लीकेशन नम्बर 6428/2000 में इन्ट्ररिम ऑर्डर की भी खुली अवहेलना की गई है। कोर्ट का स्पष्ट आदेश था कि कोई भी दर्शनार्थी, चाहे वह भगवान नेमीनाथ का का अनुयायी हो या पर्यटक हो, पांचवी टोंक पर चरणों के दर्शन और पूजा अर्चन बिना किसी रोक-टोक के कर सकता है और गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि वह पाचंवी टोंक को अप्रतिबन्धित, सुरक्षित एवं सबका सुगम प्रवेश रखना सुनिश्चित करे जिससे कोई भी धर्मावलम्बी बिना किसी रूकावट के दर्शन, पूजन एवं अर्चन कर सके।
गुजरात सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने गुजरात हाईकोर्ट के 8 जून, 2004 ‘स्टेटस को’ के आदेश एवं 17 दिसम्बर, 2005 के इन्ट्ररिम ऑर्डर का खुला उल्लंघन किया है और वह कोर्ट की अवमानना के दोषी तो हैं ही, साथ ही उन्होंने न्यायिक आदेशों को ताक पर रख दिया है।
यह अल्पसंख्यक जैन समाज के विरुद्ध खुला अन्याय है और जैन समाज केन्द्र एवं राज्य सरकार से न्याय प्रदान करने की प्रार्थना करता है और दिगम्बर जैन समाज को पूरे पर्वत पर विशेषकर पांचवी टोंक पर उनके प्रबन्धन एवं पूजा अर्चना के अधिकार को पुर्नःस्थापित करने का अनुरोध करता है।
हमारी निम्नलिखित मांगे ना केवल धार्मिक आस्था पर आधारित हैं, बल्कि इसका रिकॉर्ड भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट़ों, प्रत्यक्षदर्शी निष्पक्ष इतिहासकारों की रिपोर्ट़ों एवं सरकारी गजेटीयर्स पर आधारित है, जो भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा अमान्य नहीं की जा सकती। उपरोक्त ऐतिहासिक एवं सरकारी दस्तावेजों का संकलन ‘लीगली एडमीसेबिल कोरोबोरेटेड गिरनार एवीडेंस’ इस प्रतिवेदन के साथ संलग्न हैं और जैन समाज अपेक्षा करता है कि आप इन्हें जहां चाहे, यथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, विधि मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जांच करवाकर, राजधर्म का पालन करते हुए, हमारी न्यायोचित निम्नलिखित मांगों को यथाशीघ्र न्याय एवं विवेकपूर्ण दृष्टि रखते हुए न केवल स्वीकार करेंगे बल्कि उनपर अमल भी सुनिश्चित करेंगे :
मांग पत्र
1 गिरनार पर्वत पर जो महन्त रहते हैं, उनको वहां से यथाशीघ्र हटाया जाये, गुजरात एक्ट के नियमों के अनुसार संरक्षित स्मारकों (Protected Monuments) पर किसी भी व्यक्ति को रहने की अनुमति नहीं है।
2 जो भी नव निर्माण पांचवी टोंक पर व अन्य जगहों पर किये गये हैं, गुजरात सरकार उसको पुरातत्व के कानून के अनुसार तत्काल हटाने का कार्य करे। हमारे प्राचीन सिद्धक्षेत्र भगवान नेमीनाथ की पांचवीं टोंक पर स्थित मोक्षस्थली के मूलस्वरूप के बदलाव गुजरात एक्ट द्वारा प्रतिबंधित हैं और उसके बावजूद
प्रशासन कुछ भी नहीं कर रहा है। वहां पर जो भी परिवर्तन किये गये हैं, उनको तत्काल हटाया जाये।
3 जैन समाज एक अहिंसावादी अल्पसंख्यक समाज है। इसके साथ कोई भी बहुसंख्यक वर्ग अत्याचार करता है और उनके पूजा स्थलों/तीर्थ़ों को हथियाने की चेष्टा करता है तो भारत सरकार और प्रदेश सरकार का अल्पसंख्यक जैन समाज के संरक्षण का उत्तरदायित्व बनता है। सरकार को स्वयं आगे आकर अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
4 19 जुलाई, 2018 को जिन पुलिस कर्मचारियों ने हमारे जैन यात्रियों को पूजा अर्चना करने से रोका है, और प्रताड़ित किया है, उन्हें पूजन की सामग्री ऊपर ले जाने नहीं दी गई, उनके विरुद्ध सरकार द्वारा प्रभावी कार्यवाही की जानी चाहिए जिससे ऐसे दुष्कर्म की पुनरावृत्ति न हो सके। प्रशासन द्वारा उन अतिक्रमणकारियों को अपना खुला सहयोग, नवनिर्माण के कार्य़ों लिए एवं आने वाले जैन तीर्थ यात्रियों को रोकने व प्रताड़ित करने में दिया जा रहा है, इसको तत्काल रोका जाये।
5 कुछ वर्ष़ों पूर्व पांचवी टोंक की छत्री क्षतिग्रस्त हुई थी, उसका पुननिर्माण का कार्य पूर्व की भांति जेन समाज के बंडी कारखाने को ही मिलनी चाहिये थी, पर ऐसा नहीं किया गया। अतः उन्हें ही इजाजत दी जानी चाहिए, जोकि नहीं दी गई थी, अब देनी चाहिए व पूर्व की भांति ही छत्री बनाई जाये।
6 पांचवी टोंक पर जैन तीर्थ यात्री अम्बुज जैन निवासी रामनगर, दिल्ली ने दिनांक 19 जुलाई को ‘नेमीनाथ भगवान की जय’ बोली है, तो पुलिस ने उनकी पिटाई की है। णमोकार मंत्र भी पढ़ने व बोलने नहीं देते हैं तथा पूजा नहीं करने देते हैं। भगवान नेमीनाथ के चरणों से ढ़क कर रखते हैं। उनका अभिषेक भी
नहीं करने देते हैं, जोकि हमारी परम्परा है और हजारों वर्ष़ों से करते आये हैं। चरणों के पास ठहरने भी नहीं देते हैं। यह घोर अन्याय की बात है। उन्होंने जो नवनिर्माण किया है, उसे तत्काल हटाना चाहिए। मूलस्वरूप की रक्षा होनी चाहिए तथा छत्री के नवनिर्माण कार्य बंडी कारखाने वालों को दिया जाना चाहिए, जो पहले से करते आये हैं।।
इस बैठक में समाज के प्रमुख श्रेष्ठी जन श्री चक्रेश जैन अध्यक्ष जैन समाज दिल्ली, डॉ. जीवनलाल जैन अध्यक्ष दिगम्बर जैन परिषद्, श्री अनिल जैन (नेपाल) महामंत्री दिगम्बर जैन परिषद्, श्री विपिन जैन सर्राफ महामंत्री दिगम्बर जैन महासमिति, श्री स्वदेशभूषण जैन पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष पंजाब केसरी, श्री स्वराज जैन, टाइम्स ऑफ इण्डिया (नई दिल्ली), श्री पवन गोधा संयोजक गिरनार बचाओ आन्दोलन समिति, श्री रवीन्द्र काला (इन्दौर), श्री सुमत लल्ला (नागपुर), श्रीमती सुनीता काला (चांदनी चौक, दिल्ली), श्री सुमित जैन (बुराड़ी), श्री संदीप जैन (गुड़गांव) आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
आप सभी जैन समाज से हमारा निवेदन है कि आप सभी लोग मंगलवार, प्रातः 11 बजे से जंतर मंतर पर पधारकर इस धरने को सफल बनायें और गिरनार बचाओ आन्दोलन के साक्षी बनें।