झारखंड विधान सभा में आये अब तक के रुझान से यह स्पष्ट हो रहा है की धीरे – धीरे प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता घटती जा रही हैं ! हला कि जनता यह समझ चुकी हैं उनके स्थानीय मुद्दे में मोदी सरकार विफल साबित हो रही हैं इसका सीधा उदाहरण झारखंड में आये अब तक के रुझान से प्राप्त कर सकते हैं !
वही गत मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने ही सीट को खोते दिख रहे हैं जी हाँ अब तक के आये रुझान में रघुवर दास अपने विधान सभा क्षेत्र जमशेदपुर पूर्व में निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय से पीछे चल रहे हैं | बात तो स्पष्ट है की झारखंड की जनता इस बात को समझ गयी है की धारा 370 और तीन तलाक जैसे मुद्दे उनके किसी काम के नहीं | अंदरुनी सच्चाई को समझे तो झारखंड के श्रमिक , आदिवासी और मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय मुद्दों से कोई खास प्रभाव नहीं होता , उनके लिए रोजगार , शिक्षा और चिकित्सा जैसी स्थानीय ज़रुरत हीं मायने रखती है
वही मध्यम और उच्च वर्ग की बात की जाये तो यह कड़वा सच हमें मानना होगा की लोग राजनीति के चक्र को नज़र अंदाज़ कर अपनी आंखें बंद कर के राष्ट्रीय मुद्दे को देशभक्ति समझ कर अपना स्थानीय मुद्दा मान लेते हैं| ऐसा नहीं की दोनों श्रेणी के सभी लोग अपने अपने विचार धारा को अलग रख कर वोट देते हैं | झारखंड एक आदिवासी बहुमूल क्षेत्र है और उनके मूल भुत सुविधा हि अपने नेता व मुख्यमंत्री से उम्मीद करते है जबकि हम इस सच्चाई को देख सकते है झारखंड में 2014 से कितने बदलाव आये है.
किसी अन्य मिडिया का हवाला देते हुए मैं एक छोटी सी बात को सामने रख रहा हूँ |रांची में सड़क पर जा रहे एक रिक्शावाले से रिपोर्टर ने पूछा भैया चुनाव में आपकी क्या उम्मीद है ? वैसे सामने ही बीजेपी के बड़े से होडिंग में रघुवर दास के साथ नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लहरा रही थी रिक्शावाले ने उस होडिंग को देखते हुए अपने पैंडल पर जोर लगाया और कहा भैया हमरा तो एक रिक्शा दे देते तो चुनाव का उम्मीद पूरा हो जाता वैसे भी रघुवर दास ने हमारे लिए तो कुछ किया नहीं |
इस बात से यह काफी स्पष्ट है बहुत सारे ऐसे जनता है की जिन्हें देश व्यापी नीतियों से कोई खास लगाव नहीं उन्हें तो बस अपनी जिंदगी की जद्दो ज़ेहत से बहार आना है और यह कहीं से देशविरोधी या देशद्रोही नहीं बल्कि उन्हें अपनी मजबूरी के आगे धारा 370 व CAA जैसी कानून किसी बड़ी अनजान कहानी से कम नही |
जबकि कुछ दिन पहले हीं प्रधानमंत्री मोदी झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान नागरिकता संशोधन बिल को संबोधित करते हुए कहा था की विरोध करने वालों को कपड़ों से हीं पहचाना जा सकता है | कहीं न कहीं प्रधानमंत्री मोदी भी पक्षपात करते नज़र आये | हला कि इसका ख़मियज़ा या जनता की विवेक पर निर्भर करता है की इस बात का असर झारखंड विधान सभा पर कितना पड़ा है |