15 साल से भी ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम का साथ देने वाले खिलाडी व सबसे सफल भारतीय क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने साफ़ कर दिया किया की भारतीय टीम में शायद हीं उनकी जगह हैं | सीधे तौर से BCCI के कंट्रैक्ट लिस्ट से महेन्द्र सिंह धोनी को बहार कर दिया गया हैं जिसका सीधा मतलब हम सब समझ सकते हैं , जहाँ उन्हें 5 करोड़ वाले ग्रेड A में रखा गया था जबकि अब उन्हें सभी ग्रेड से बहार रखा गया हैं|
उन्हों ने आखरी मैच गत जुलाई 2019 में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ खेला था उसके बाद वो भारतीय क्रिकेट टीम से दूर दिखे , साथ हीं मीडिया में उनके सन्यास का जिक्र हमेशा क्रिकेट सुर्ख़ियों का बनी आ रही हैं | भारतीय क्रिकेट जगत की राजनीतिक पहलु को इस बात से समझ सकते हैं की किसी भी खिलाडी को तब तक मान सम्मान दिया जाता हैं जब तक वो भारतीय क्रिकेट का हिस्सा हैं ,जिसका सीधा उदाहरण महेन्द्र सिंह धोनीको समझा जा सकता हैं , अब सबकी किस्मत सचिन तेंदुलकर जैसी तो नहीं होती !
बतौर कप्तान उन्हें भारतीय क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान माना जाता हैं यह इस बात से स्पष्ट होता हैं की २००७ में पहला टी20 वर्ल्ड कप जितने के बाद धोनी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा जिसमें उन्हों ने २०११ वर्ल्ड कप में खुद को साबित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी | पारिवारिक चुनौतियों से गुज़रते हुए व क्रिकेट में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा|
झारखंड के रांची से आने वाले महेन्द्र सिघ धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के हिस्से बनने से पहले बतौर टी सी के रूप में बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यरत थे | अपने क्रिकेट जीवन के उस मुकाम तक पहुंचने के लिए महेन्द्र सिंह धोनी को अत्यंत संघर्ष का सामना करना पड़ा |