नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दाखिल 144 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एक अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ से बहस करते हुए कहा कि सरकार को 143 दलीलों में से केवल 60 की प्रतियां दी गई थीं और इसलिए जवाब देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता थी। सीजेआई बोबडे ने कहा कि अदालत इस मामले को संविधान पीठ को सौंप सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी, कपिल सिब्बल ने अदालत से सीएए के पर रोक लगाने और एनपीआर की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया।
सर्वोच्च अदालत की ओर से असम, पूर्वोत्तर और उत्तर प्रदेश से जुड़ी याचिकाओं के लिए अलग कैटेगरी बना दी है. अदालत में विकास सिंह, इंदिरा जयसिंह की ओर से अपील की गई कि असम का मसला पूरी तरह से अलग है, ऐसे में उनको जल्द से जल्द सुना जाए.
असम, पूर्वोत्तर, UP से जुड़े मामलों के लिए अलग पीठ बनाई जाएगी, जो सिर्फ इनसे जुड़ी याचिकाओं को सुनेगी. केंद्र सरकार को असम से जुड़ी याचिकाओं का जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया गया है.
वकील कपिल सिब्बल की ओर से अपील की गई थी कि इस मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जाए. उत्तर प्रदेश में CAA की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, ऐसे में इस प्रक्रिया को तीन महीने के लिए टाल दिया जाए. अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है. आगे इस मसले की सुनवाई की क्या प्रक्रिया होगी, इसपर चीफ जस्टिस के चेंबर में मामले को सुना जाएगा. चेंबर में होने वाली सुनवाई में एक केस के लिए एक ही वकील को मौका मिलेगा.