केंद्र और ज्यादातर राज्यों से चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस ने इतिहास से सबक नहीं लेने की ठान ली है। यही वजह है कि कांग्रेस का अभी तक अल्पसंख्यक मोह खत्म नहीं हुआ है। अल्पसंख्यकों के गैरकानूनी कामों में भी कांग्रेस उनका बचाव करती नजर आती रही है। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ही अकेली नहीं है, बल्कि दूसरे राजनीतिक दल भी नोट बैंक की राजनीतिक के कारण मुस्लिमों के अपराधों को माफ करने के पक्ष में रहे हैं। बेशक अपराध आतंकवाद से जुड़े हुए ही क्यों ना हो। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने दंगा करने, थाने पर हमला करने, आगजनी और तोडफ़ोड़ जैसे गंभीर आरोपों में शामिल मुस्लिम समुदाय के आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेकर कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रेम को उजागर किया है। लगातार हारने के बाद भी कांग्रेस को डूबती नैया का सहारा मुसलमान वोट बैंक ही नजर आता है।मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने पहली बार ऐसा नहीं किया। जब भी देश के संविधानऔर कानून को समानता से लागू करने की बात होती है, कांग्रेस हमेशा से मुसलमानों का दूसरे चश्मे से देखती रही है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का कांग्रेस ने जमकर विरोध किया। यह जानते हुए भी कि विशेष राज्य और कानून की आड़ में इस केंद्रशासित प्रदेश में आतंकी वारदातें कर रहे है। इन पाक परस्त आतंकियों को बचाने के लिए भाड़े के पत्थरबाज सुरक्षा कवच का काम कर रहे हैं। इस विशेष प्रावधान के हटने के बाद पत्थरबाजी की घटनाएं बंद हो गई।साथ ही सुरक्षा बल और पुलिस काफी हद तक आतंकियों की नकेल कसने में कामयाब रहे। यह मुद्दा देश की एकता-अखंडता से जुड़ा होने के बावजूद कांग्रेस ने इसे हटाने पर कायम नेशनल कांफ्रेंस के साथ महज मुस्लिम वोट बैंक की खातिर चुनावी गठबंधन किया।
कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम हकीकत कम, वोट बैंक ज्यादा_ डॉ मनोज शुक्ला
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