राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 1925 से लेकर अब तक के 100 वर्षों में समाज के बदलते परिवेश के अनुसार कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। ये परिवर्तन संघ की कार्यप्रणाली, विचारधारा, सामाजिक दृष्टिकोण और विश्व स्तर पर उसकी स्वीकार्यता से जुड़े हुए हैं।
1. विचारधारा में व्यापकता
संघ की स्थापना के समय उसकी विचारधारा मुख्यतः “हिंदू राष्ट्रवाद” पर केंद्रित थी, लेकिन समय के साथ इसमें व्यापकता आई।
पहले संघ केवल हिंदू समाज के भीतर एकता पर बल देता था, लेकिन अब वह “सर्वसमावेशी राष्ट्रवाद” की बात करता है।
“सामाजिक समरसता” के कार्यक्रमों के माध्यम से सभी जातियों, वर्गों और समुदायों को साथ जोड़ने का प्रयास किया गया।
2. संगठन का विस्तार
शुरुआत में संघ केवल भारत के कुछ क्षेत्रों तक सीमित था, लेकिन समय के साथ यह एक अखिल भारतीय संगठन बन गया।
संघ ने शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में भी अपनी शाखाएँ स्थापित कीं।
आज संघ के प्रेरणा से विदेशों में भी कई संगठन काम कर रहे हैं, जो भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
3. तकनीकी और आधुनिक साधनों का उपयोग
आरएसएस ने समय के साथ आधुनिक तकनीक और डिजिटल साधनों को अपनाया।
पहले शाखाएँ केवल शारीरिक और बौद्धिक गतिविधियों पर आधारित थीं, लेकिन अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संघ की विचारधारा को प्रचारित किया जा रहा है।
सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल माध्यमों के उपयोग से संघ की पहुँच युवाओं तक अधिक हो गई है।
4. महिलाओं की भागीदारी
संघ की शुरुआत में केवल पुरुषों की भागीदारी होती थी, लेकिन समय के साथ महिलाओं की भूमिका को भी मान्यता दी गई।
1936 में राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना हुई, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्य करती है।
आज संघ से प्रेरित कई संगठनों में महिलाएँ नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।
5. सामाजिक सुधार में सक्रिय भूमिका
संघ ने जाति-प्रथा, अस्पृश्यता और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए।
एक कुआँ, एक मंदिर, एक श्मशान जैसे अभियानों के माध्यम से समाज में समानता की भावना विकसित की गई।
संघ के स्वयंसेवकों ने समाज के वंचित वर्गों के साथ मिलकर काम किया, जिससे समाज में एकता बढ़ी।
इन पाँच प्रमुख परिवर्तनों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने में सफलता प्राप्त की। संघ ने समय के साथ अपनी विचारधारा को व्यापक बनाया और समाज की जरूरतों के अनुरूप खुद को ढाला, जिससे वह आज भी एक प्रभावशाली संगठन बना हुआ है।