गुजरात में पिछले दो दशक से राज्य की सत्ता से बाहर कांग्रेस की इस बार सत्ता में लौटने के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
एक जमाने में गुजरात बीजेपी के दिग्गज नेता और अब कांग्रेसी शंकर सिंह वाघेला ने शुक्रवार को अपने 77वें जन्मदिन पर अहम घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी ने मुझे निकाल दिया है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि। इसके साथ उन्होंने कहा कि आरएसएस से मेरा पुराना नाता है। इसके साथ ही साफ हो गया है कि कांग्रेस की राज्य यूनिट में विभाजन हो गया है।
नवंबर में राज्य विधानसभा में होने जा रहे चुनावों के लिहाज से यह बेहद अहम सियासी घटनाक्रम है क्योंकि इससे सीधे कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका है और इस वजह से पिछले दो दशक से राज्य की सत्ता से बाहर कांग्रेस की इस बार सत्ता में लौटने के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
शंकर सिंह वाघेला की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हैं। 40 सालों से ज्यादा के राजनीतिक करियर के दौरान वाघेला 1996-97 के बीच गुजरात के सीएम रहे। जानिए शंकर सिंह वघेल का राजनीतिक सफर–
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साल 1977 में 6वीं लोकसभा में वो बतौर सांसद चुने गए।
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1977-1980 के बीच गुजरात जनता पार्टी के उपाध्यक्ष रहे।
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1980-1991 में वो बीजेपी के महासचिव और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष रहे।
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1984-1989 में वाघेला राज्यसभा में सांसद रहे।
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1989 में वो लोकसभा के लिए चुने गए, 1991 में वो दोबारा सांसद बनने में कामयाब रहे।
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1996-1997 के बीच वो गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे।
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बीजेपी से बगावत करने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए औप 1999-2004 के बीच कांग्रेस की ओर से सांसद रहे।
2004 में वघेला यूपीए सरकार में टेक्सटाइल मंत्री भी रहे।