भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर आयोजित संसद के विशेष सत्र में भी 1942 के नायकों को याद कर मोदी सरकार उनके योगदान को देश के सामने रखे रखेगी।
देश के सत्ता सिंहासन के सभी शीर्ष पदों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा वाले नेताओं के काबिज होने के बाद अब नरेंद्र मोदी की सरकार आजादी के नायकों को विस्तार देने की रणनीति पर काम कर रही है। गांधी-नेहरू और बहुत अधिक हुआ तो भगत सिंह-चंद्रशेखर आजाद तक सिमटी भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी में अब आजादी के उन गुमनाम नायकों का गान भी होगा, जिन्हें आम जनमानस से छुपा कर रखा गया। भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर आयोजित संसद के विशेष सत्र में भी 1942 के नायकों को याद कर मोदी सरकार कमोबेस यही संदेश देना चाहती है।
नौ अगस्त को देश अंग्रेजों के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई के रूप में चर्चित भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह के रूप में मनाता है। यूं तो नौ अगस्त काकोरी कांड के लिए भी जाना जाता है। नौ अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से सहारनपुर रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुई ट्रेन को क्रांतिकारियों ने लूट कर अंग्रेजों को चुनौती दी थी। इस घटना के ठीक 17 साल बाद नौ अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ का एलान किया था। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नौ अगस्त को संसद का विशेष सत्र आहूत कर आजादी की इन क्रांति गाथाओं को एक बार पुनः स्मरण करने का संकल्प लिया है।
हाल ही में विदेश नीति पर अपने दमदार भाषण से देशवासियों की तारीफ बटोरने वाली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, लोकसभा में इस विशेष सत्र में चर्चा शुरू करेंगी। राज्यसभा में यह जिम्मेदारी वित्त मंत्री अरुण जेटली की होगी। उसके बाद दिन भर पक्ष-विपक्ष के नेता चर्चा में हिस्सा लेंगे और फिर प्रधानमंत्री मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ इस विशेष सत्र की चर्चा का समापन करेंगे।